नई दिल्ली। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को कहा कि अर्थव्यवस्था में सुधार की रफ्तार उम्मीद से अधिक बनी हुई है। इसकी वजह सिर्फ पहले की दबी मांग का निकलना ही नहीं बल्कि नई मांग आना भी है।उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था में यह सुधार टिकाऊ होगा। अगले 2 महीनों में अगले वित्त वर्ष का बजट पेश होना है। इसके विस्तार में जाए बिना सीतारमण ने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक और सरकार जल्द से जल्द अर्थव्यवस्था में सुधार के लिए मिलकर काम कर रहे हैं।
मुद्रास्फीति के ऊंचे बने रहने के चलते भारतीय रिजर्व बैंक ने शुक्रवार को नीतिगत दरों को अपरिवर्तित रखा। इस पर वित्तमंत्री ने कहा कि मुद्रास्फीति में यह तेजी मौसमी है और इसे लेकर वे प्रत्यक्ष तौर पर चिंतित नहीं हैं। वित्तमंत्री एचटी लीडरशिप समिट सम्मेलन में बोल रही थीं।
उन्होंने कहा कि मुद्रास्फीति विशेषकर खाद्य वस्तुओं के दाम में बढ़ोतरी नरम पड़ जाएगी। मैं इसे महंगाई के तौर पर नहीं देखती, विशेष तौर पर खाद्य सामग्री पर। जहां यह ऊपर बनी हुई है, वहां यह नीचे आ जाएगी। जुलाई-सितंबर तिमाही में अर्थव्यवस्था में गिरावट 7.5 प्रतिशत रह जाना उम्मीद से थोड़ी बेहतर स्थिति है।
कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि इसकी वजह लॉकडाउन की अवधि में दबी हुई मांग और त्यौहारी मांग का बाजार में बढ़ना है। उनका मानना है कि त्योहारी मौसम खत्म होने के बाद अर्थव्यवस्था में यह सुधार औंधे मुंह गिर पड़ेगा। हालांकि सीतारमण ने कहा कि 2 महीनों में माल एवं सेवाकर (जीएसटी) संग्रह 1 लाख करोड़ रुपए पर रहा है, वहीं बुनियादी क्षेत्रों में काम करने वाली कंपनियों की विस्तार योजनाएं दिखाती हैं कि अर्थव्यवस्था में अतिरिक्त मांग है।
उन्होंने कहा कि मैं दावे से नहीं कह सकती कि पिछले 2 महीनों में 1 लाख करोड़ रुपए से अधिक का जीएसटी संग्रह सिर्फ दबी हुई मांग और त्योहारी मांग के चलते हुआ है, क्योंकि मैंने कई उद्योगपतियों से भी चर्चा की है, जो अपनी क्षमता विस्तार की योजना पर काम कर रहे हैं।
भारतीय रिजर्व बैंक ने भी शुक्रवार को अपनी द्विमासिक मौद्रिक नीति की घोषणा की। इस दौरान केंद्रीय बैंक ने चालू वित्त वर्ष में अर्थव्यवस्था के 7.5 प्रतिशत सिकुड़ने का अनुमान जताया है। यह उसके अक्टूबर के 9.5 प्रतिशत संकुचन रहने के अनुमान से बेहतर स्थिति को दर्शाता है। (भाषा)