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नीतीश कुमार का बड़ा हमला, कहा- मौजूदा हालात के लिए कांग्रेस जिम्मेदार

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, सोमवार, 3 जुलाई 2017 (09:31 IST)
पटना। जनता दल यूनाईटेड के अध्यक्ष और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कांग्रेस पर बड़ा हमला करते हुए कहा, 'मौजूदा हालात के लिए कांग्रेस जिम्मेदार, पार्टी सबके साथ नहीं चल रही।' नीतीश ने रविवार को पटना में राज्य कार्यकारिणी के सदस्यों को संबोधित करते हुए कांग्रेस से साफ शब्दों में कह दिया है कि वे किसी के पिछलग्गू नहीं हैं। कोई गलतफहमी में न रहे कि वे किसी के पिछलग्गू हैं। खुशामद करना उनकी फितरत में शामिल नहीं है। वे सहयोगी हैं और सहयोगी की तरह रहेंगे। 

 
दरअसल, नीतीश कांग्रेस से खफा चल रहे हैं, क्योंकि कांग्रेस सभी विपक्षी दलों को अपने तरीके से हांकने में लगी है। हालात तब ज्यादा बिगड़ गए जब कांग्रेस के महासचिव गुलाम नबी आजाद ने कहा था कि नीतीश एक विचारधारा नहीं, बल्कि कई विचार धारा के नेता हैं। आजाद का यह बयान राष्ट्रपति चुनाव को लेकर दिया गया था। इस बयान से नीतीश चिढ़े हुए हैं।
 
राष्ट्रपति चुनाव के मुद्दे पर नीतीश ने साफ किया कि उन्होंने रामनाथ कोविन्द, जोकि बिहार के राज्यपाल थे, को समर्थन दिया है न कि भारतीय जनता पार्टी को। इस मुद्दे पर नीतीश ने कांग्रेस पार्टी के नेताओं के बयान पर कहा कि भिड़ना चाहिए किससे और भिड़ गए किससे!
 
सिद्धांतों से समझौते पर नीतीश ने अपनी पार्टी के नेताओं को विस्तार से बताया कि वे सिद्धांतों से समझौता नहीं करते। कांग्रेस पर सीधा हमला करते हुए नीतीश ने कहा कि सिद्धांत पर आप बदलते रहते हैं। स्वर्गीय राममनोहर लोहिया कहा करते थे कि कांग्रेस सरकारी गांधीवादी हैं।
 
राष्ट्रपति चुनाव की चर्चा करते हुए नीतीश ने कहा कि दिल्ली में सोनिया गांधी द्वारा बुलाई गई बैठक के पहले गुलाम नबी आजाद के पटना में बयान कि कोविंद का विरोध किया जाएगा, के बाद उस बैठक में जाने का कोई औचित्य नहीं रह गया था। नीतीश ने कांग्रेस पार्टी पर यह भी आरोप लगाया कि आजादी के बाद सबसे पहले उन्होंने गांधी और बाद में नेहरू के सिद्धांतों को तिलांजलि दी।
 
बिहार में महागठबंधन के भविष्य पर उन्होंने अपनी पार्टी के नेताओं से पार्टी के काम पर ध्यान देने के लिए कहा। नीतीश ने कहा कि गठबंधन कैसे चल रहा है, जो होना है वह होगा और हम सही समय पर निर्णय लेते हैं, लेकिन हम किसी की परवाह नहीं करते हैं। हालांकि नीतीश ने अपने सहयोगी द्वारा आयोजित रैली से संबंधित अटकलों पर यह कहकर विराम लगा दिया कि निमंत्रण आने पर वे जरूर जाएंगे।
 
नीतीश के तेवर से स्पष्ट है कि फिलहाल सरकार चलाने की मजबूरी की आड़ में वे अपने किसी सहयोगी के सामने किसी मुद्दे पर झुकने के लिए तैयार नहीं हैं। नीतीश ने विपक्ष की एकता की चर्चा करते हुए कहा कि पहले असम चुनाव के पूर्व और दूसरी बार उत्तर प्रदेश चुनाव से पहले उन्होंने पहल की, लेकिन कांग्रेस के नेताओं ने नहीं होने दिया और दोनों जगह भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनी।
 
जानकर मानते हैं कि कांग्रेस के बार-बार यह जताने से कि उन्होंने लालू यादव के दबाव के बावजूद नीतीश कुमार को बिहार में महागठबंधन का नेता बनाया, नीतीश न केवल दुखी हैं बल्कि इस बात से चिढ़े भी हैं कि जब भी वे भाजपा को मात देने के लिए कोई ठोस रणनीति की पहल करते हैं, कांग्रेस के नेता ही उसको विफल कर देते हैं। वे सार्वजनिक रूप से और मीडिया में चुपके से यह भी प्लांट करने से नहीं चूकते कि नीतीश भाजपा से संबंध मधुर बना रहे हैं।

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