Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

अलग-अलग हो सकती है नीतीश-लालू की राह...

हमें फॉलो करें अलग-अलग हो सकती है नीतीश-लालू की राह...
, गुरुवार, 22 जून 2017 (20:25 IST)
यूं तो बिहार के मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार और राजद मुखिया लालू प्रसाद यादव के रिश्ते पहले जैसे नहीं रहे हैं। दोनों के बीच दरार भी साफ दिखाई देने लगी है, लेकिन राष्ट्रपति चुनाव को लेकर भी बिहार सरकार में सहयोगी जदयू और राजद अलग-अलग पटरी पर चलते दिखाई दे रहे हैं। नीतीश ने जहां एनडीए के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार रामनाथ कोविंद को समर्थन देकर विपक्षी दलों को चौंकाया है, वहीं लालू यादव विपक्षी एकता के साथ मजबूती से खड़े दिखाई दे रहे हैं।

विपक्ष ने पूर्व लोकसभा अध्यक्ष और पूर्व केन्द्रीय मंत्री मीरा कुमार को अपना संयुक्त उम्मीदवार बनाया है। मीरा भी कोविंद की तरह अनुसूचित जाति वर्ग से ही आती हैं। साथ ही वे बिहार से भी आती हैं। ऐसे में नीतीश द्वारा कोविंद को समर्थन देने से बिहार के लोगों में गलत संदेश जा सकता है जो नीतीश के लिए मुश्किलें भी पैदा कर सकता है। हालांकि नीतीश रामनाथ को अपना समर्थन मीरा कुमार को उम्मीदवार बनाए जाने से पहले ही दे चुके थे।

कांग्रेसी पृष्ठभूमि से आने वाली मीरा कुमार की उम्मीदवारी को 17 विपक्षी दलों ने समर्थन किया है, लेकिन इसके बावजूद विपक्ष जीत के आंकड़े तक नहीं पहुंच पाएगा। मीरा के अलावा विपक्षी उम्मीदवार के लिए गोपालकृष्ण गांधी और कृषि वैज्ञानिक स्वामीनाथन के नाम पर भी विचार हुआ था, लेकिन अंत में सभी ने मीरा के नाम पर मुहर लगा दी।

राष्ट्रपति चुनाव में राजग उम्मीदवार की जीत तय मानी जा रही है क्योंकि बीजू जनता दल, अन्नाद्रमुक, जदयू आदि गैर राजग दलों ने भी रामनाथ कोविंद का समर्थन कर दिया है। दूसरी ओर राजनीति के जानकार मान रहे हैं कि राष्ट्रपति चुनाव का फैसला जो भी हो मगर आने वाले समय में यह चुनाव लालू और नीतीश के रिश्तों में और खटास पैदा कर सकता है। एक ओर नीतीश भाजपा से निकटता बढ़ाने में लगे हैं, वहीं लालू परिवार पर आयकर विभाग समेत अन्य केन्द्रीय एजेंसियों ने शिकंजा कस रखा है। उन पर आय से अधिक संपत्ति का मामला चल रहा है। अत: नीतीश की भाजपा से करीबी लालू कतई बर्दाश्त नहीं कर पाएंगे।

जानकार तो यह भी मानते हैं कि नीतीश भी अब लालू से पीछा छुड़ाने का मन बना चुके हैं क्योंकि राजद का साथ लेने के कारण नीतीश खुलकर काम नहीं कर पा रहे हैं। लालू के बेटे तेजस्वी को भी उन्हें मजबूरी में उपमुख्‍यमंत्री बनाना पड़ा था। इसके साथ ही राजद के बाहुबली नेता उनके लिए आए दिन मुश्किलें खड़ी करते रहते हैं। ऐसे में कोई आश्चर्य नहीं कि राष्ट्रपति चुनाव बिहार की राजनीति में एक नई इबारत लिख दे और नीतीश एक बार फिर राजग के खेमे में शामिल हो जाएं। यदि ऐसा हुआ तो लालू परिवार की मुसीबतें और बढ़ना तय है।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

चीनी मुक्‍केबाज जुल्फिकार से भिड़ेंगे विजेंदर