नई दिल्ली। राज्यसभा चुनाव में चुनाव आयोग द्वारा मतदाताओं को नोटा (इनमें से कोई नहीं) विकल्प मुहैया कराने का मुद्दा मंगलवार को संसद के उच्च सदन में उठाते हुए विपक्ष ने भारी हंगामा किया।
कांग्रेस सदस्य आनंद शर्मा द्वारा उठाए गए इस मुद्दे पर विपक्षी दलों के हंगामे के कारण सदन की कार्यवाही दो बार स्थगित करनी पड़ी।
राज्य सभा में नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद, बसपा के सतीश मिश्रा, सपा के रामगोपाल यादव और टीएमसी के डेरेक ओ ब्रायन ने इस मामले पर सत्तापक्ष से जवाब मांगने की सभापति से मांग की।
इस पर नेता सदन अरुण जेटली ने कहा कि नोटा की अधिसूचना चुनाव आयोग ने जारी की थी। संवैधानिक स्वायत्त निकाय के रूप में आयोग द्वारा किये गये किसी फैसले पर चर्चा करने के लिये राज्य सभा उपयुक्त मंच नहीं है।
सभापति ने जेटली के पक्ष से सहमति जताते हुये कहा कि प्रश्नकाल के दौरान इस विषय को उठाने की वह अनुमति नहीं दे सकते हैं। विपक्ष का हंगामा नहीं थमने पर सभापति हामिद अंसारी ने 12 बजकर दस मिनट पर सदन की कार्रवाई दस मिनट के लिए स्थगित कर दी।
सदन की कार्यवाही फिर से शुरु होने पर बसपा के सतीश मिश्रा ने नोटा विकल्प जोड़ने से राज्यसभा का चुनाव ही अवैध हो जाने की आशंका जताते हुए सभापति से यह मुद्दा सदन में उठाने की अनुमति देने का अनुरोध किया।
उन्होंने कहा कि इससे न सिर्फ नोटा पर वोट देने वाले जनप्रतिनिधयों की अपनी पार्टी की सदस्यता खतरे में पड़ जायेगी बल्कि संवैधानिक संकट भी खड़ा हो जायेगा। इसके समर्थन में सपा के नरेश अगवाल ने सभापति से सदन द्वारा इस मामले पर संज्ञान लेने की मांग की। लेकिन अंसारी ने कहा कि सदस्य अगर इस मसले पर चर्चा कराना चाहते हैं तो उन्हें पहले नोटिस देना होगा।
अंसारी ने कहा कि नेता सदन ने इस मामले में स्थिति स्पष्ट कर दी है इसलिये वह प्रश्नकाल में यह मुद्दा उठाने की अनुमति नहीं देंगे। इस पर विपक्षी दलों के सदस्यों ने एक बार फिर शोरशराबा शुरू करने पर सभापति ने दोपहर दो बजे तक के लिए सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी। (भाषा)