नई दिल्ली। केंद्र सरकार के आम लोगों से 500 और 1000 रुपए के नोटों को 31 मार्च 2017 तक जमा करने के किए गए वादे के अनुरूप पुराने नोटों को स्वीकार करने की अनुमति नहीं दिए जाने के मामले से संबंधित याचिका का उच्चतम न्यायालय अंतिम निस्तारण 21 मार्च को करेगा।
शीर्ष अदालत ने गत सोमवार को शरद मिश्रा की जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक को नोटिस जारी करके आज तक जवाबी हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया था। मुख्य न्यायाधीश जे.एस केहर, न्यायमूर्ति डी वाई चन्द्रचूड़ और न्यायमूर्ति संजय किशन कौल की पीठ इस मामले की सुनवाई कर रही है।
केन्द्र ने कहा कि कोई जवाब दाखिल करने के बजाय वह प्रत्यक्ष रूप से इस मामले में तथ्यों को रखेगा। याचिका में कहा गया है कि पहले प्रधानमंत्री और रिजर्व बैंक ने घोषणा की थी कि जो लोग किसी भी वजह से पुराने नोट बैंकों में जमा नहीं कर पाए, वे 31 मार्च तक रिजर्व बैंक में इसे जमा करा सकते हैं, लेकिन बाद में यह सीमा 30 दिसंबर 2016 तक ही कर दी गई।
गौरतलब है कि नोट जमा करने के लिए 31 मार्च 2017 तक की यह छूट प्रवासी भारतीयों को ही दी गई है। गौरतलब है कि मोदी सरकार ने कालाधन, जाली नोट और आतंकवाद और नक्सलियों को की जाने वाली फंडिंग से निपटने के लिए 8 नवंबर को 500 और 1000 के पुराने नोटों पर प्रतिबंध लगा दिया था। (वार्ता)