नई दिल्ली। राजस्थान सरकार में सत्ता के लिए जारी रस्साकशी के बीच पार्टी के नेता सचिन पायलट के करीबी सूत्रों ने रविवार को कहा कि अपनी ही सरकार को अस्थिर करने की कथित कोशिश की जांच में पूछताछ के लिए पेश होने का उप मुख्यमंत्री को पत्र भेजे जाने से सारी हदें पार हो गई हैं। इससे, पायलट समर्थक विधायकों का मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के तहत काम करना मुश्किल हो गया।
सूत्रों ने बताया कि पायलट का समर्थन कर रहे विधायक पायलट को गहलोत खेमे द्वारा बार-बार कमजोर किए जाते नहीं देख सकते और पुलिस के स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (SOG) द्वारा उप मुख्यमंत्री को पत्र भेजे जाने का उद्देश्य उन्हें अपमानित करना है।
सूत्रों ने बताया कि पायलट अभी दिल्ली में हैं और उनके समर्थक विधायकों ने संकल्प लिया है कि प्रदेश कांग्रेस कमेटी प्रमुख को सार्वजनिक रूप से अपमानित करने के लिए पत्र भेजे जाने के बाद वे लोग मुख्यमंत्री गहलोत के नेतृत्व में काम नहीं कर सकते हैं।
सूत्रों के मुताबिक पायलट समर्थक विधायकों ने कहा है कि पहले भी समस्याएं थी लेकिन इस पत्र ने सारी हदें पार कर दी हैं और इस तरह के अपमान को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।
गहलोत का भी बयान दर्ज करने के लिए राजस्थान पुलिस द्वारा उन्हें नोटिस जारी किए जाने के बारे में सूत्रों ने कहा कि मुख्यमंत्री को नोटिस सिर्फ एक छलावा है, ताकि उप मुख्यमंत्री को एसओजी द्वारा तलब और अपमानित किया जा सके। गहलोत के पास गृह विभाग का भी प्रभार है।
एक सूत्र ने कहा कि ऐसा पहले कभी नहीं हुआ कि पार्टी के किसी मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष और उप मुख्यमंत्री को इस तरह का पत्र भेजा गया हो।
गहलोत और पायलट को नोटिस जारी किए जाने से पहले शुक्रवार को एसओजी ने हिरासत में लिए गए 2 लोगों के खिलाफ एक प्राथमिकी दर्ज की थी। गहलोत सरकार को गिराने के लिए कांग्रेस विधायकों की खरीद-फरोख्त करने में कथित संलिप्तता को लेकर यह प्राथमिकी दर्ज की गई थी।
गहलोत ने शनिवार को आरोप लगाया था कि भाजपा उनके विधायकों को मोटी रकम की पेशकश कर उनकी सरकार गिराने की कोशिश कर रही है। उन्होंने विश्वास जताया था कि उनकी सरकार पांच साल का अपना कार्यकाल पूरा करेगी। (भाषा)