नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को केंद्र को दो सप्ताह के भीतर यह बताने के लिए कहा कि वह निर्वाचन कानून में संशोधन के लिए विधेयक कब तक लाएगा जिससे अप्रवासी भारतीयों को देश के चुनावों में डाक या ई-बैलेट के जरिए वोट देने की अनुमति मिल जाएगी।
प्रधान न्यायाधीश जेएस खेहर और न्यायमूर्ति डीवाई चन्द्रचूड की पीठ ने अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल के उस बयान पर विचार किया कि महज जनप्रतिनिधित्व कानून के तहत नियमों में बदलाव करके अप्रवासी भारतीयों को वोट देने की अनुमति नहीं दी जा सकती और संसद में कानून में संशोधन करने वाला एक विधेयक पेश करने की जरूरत है ताकि उन्हें वोट देने का अधिकार मिल सकें।
अटॉर्नी जनरल ने पीठ को यह भी बताया कि मंत्रियों के एक समूह ने कानून में संशोधन करने समेत कई आयामों की जांच करने के लिए गुरुवार को एक बैठक की। अदालत ने 14 जुलाई को केंद्र को एक सप्ताह के भीतर यह फैसला लेने के लिए कहा था कि क्या वह देश में चुनावों में डाक या ई-बैलेट के जरिए एनआरआई को वोट देने की अनुमति देने के लिए निर्वाचन कानून या नियमों में बदलाव करेगी।
सुनवाई के दौरान वेणुगोपाल ने नियमों में बदलाव करने के विकल्प को खारिज कर दिया और उन्होंने कहा कि कानून में उपयुक्त बदलाव किया जाना चाहिए।
केंद्र ने कहा था कि उसने 12 सदस्यीय समिति द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट की अनुशंसाओं को सैद्धांतिक तौर पर अनुमति दे दी थी जिसमें विदेशों में रहने वाले भारतीयों को मतदान का अधिकार देने की बात की गई थी। इस समिति का नेतृत्व उप निर्वाचन आयुक्त विनोद जुत्शी ने किया था।
पीठ इस मुद्दे पर लंदन स्थित प्रवासी भारत संगठन के अध्यक्ष नागेंद्र चिंदम और शमशीर वीपी समेत अन्य प्रवासी भारतीयों की याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है। (भाषा)