नई दिल्ली। देश के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने देश की शांति से खिलवाड़ कर रहे शरारती तत्वों को लेकर लेकर बड़ा बयान दिया है। डोभाल ने ने धर्म और विचारधारा के नाम पर सद्भाव बिगाड़ने और अशांति पैदा करने की साजिश रचने वाली ताकतों से सतर्क रहने की चेतावनी भी दी है।
दिल्ली में अखिल भारतीय सूफी सज्जादनाशिन परिषद द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में यह बयान दिया। इस कार्यक्रम में धार्मिक प्रमुखों ने चर्चा की और शांति और एकता के लिए एक प्रस्ताव पारित किया।
डोभाल ने कहा कि कुछ लोग धर्म के नाम पर विद्वेष पैदा करते हैं, हमें इसको लेकर मूकदर्शक बनने की आवश्यकता नहीं। धार्मिक विद्वेष का मुकाबला करने के लिए हमें एक साथ काम करना होगा।
डोभाल ने सम्मेलन में कहा कि कुछ लोग धर्म के नाम पर वैमनस्यता पैदा करते हैं जो पूरे देश पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है। हम इसके मूकदर्शक नहीं हो सकते। धार्मिक रंजिश का मुकाबला करने के लिए हमें एक साथ काम करना होगा और हर धार्मिक संस्था को भारत का हिस्सा बनाना होगा। इसमें हम सफल होंगे या नाकाम होंगे।
एआईएसएससी के तत्वावधान में आयोजित सम्मेलन में धार्मिक नेताओं ने पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) जैसे संगठनों और ऐसे अन्य मोर्चों पर प्रतिबंध लगाने का एक प्रस्ताव पारित किया जो राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में लिप्त रहे हैं।
प्रस्ताव में यह भी कहा गया है कि किसी के द्वारा चर्चा या बहस के दौरान किसी भी देवी-देवता या पैगंबर को निशाना बनाने की निंदा की जानी चाहिए और इससे कानून के अनुसार निपटा जाना चाहिए।
डोभाल ने कहा कि सभी तक पहुंचने की जरूरत है, उन सबको कट्टरपंथी ताकतों के खिलाफ लड़ाई में शामिल करना चाहिए और उन्हें बताना चाहिए कि भारत में किसी भी धर्म के खिलाफ नफरत और मुहिम के लिए कोई जगह नहीं है।
उन्होंने कहा कि यह भावना पैदा करने की जरूरत है कि हम देश की एकता से समझौता नहीं होने देंगे। हमें सबके दिल में यह विश्वास पैदा करना होगा कि यहां हर भारतीय सुरक्षित है। हमें संगठित होना होगा, आवाज उठानी होगी और गलतियों को सुधारना होगा।
डोभाल ने धर्मगुरुओं से कहा कि उन्हें देश में माहौल सुधारने में प्रमुख भूमिका निभानी होगी। उन्होंने कहा कि हर धर्म ने देश के विकास में योगदान दिया है। हमें यह सोचना होगा कि हम अपनी आने वाली पीढ़ियों को कैसा भारत देंगे। आपके (धार्मिक नेताओं) कंधों पर बड़ी जिम्मेदारियां हैं।
सम्मेलन का उद्देश्य भारत में बढ़ती धार्मिक असहिष्णुताके बारे में विभिन्न धर्मों के प्रतिनिधियों के बीच चर्चा करना था। सम्मेलन द्वारा पारित प्रस्ताव में शांति, सद्भाव और कट्टरपंथी ताकतों के खिलाफ लड़ाई का संदेश फैलाने के लिए सभी धर्मों को शामिल करते हुए एक नया संगठन बनाने का प्रस्ताव है।
प्रस्ताव में कहा गया कि पीएफआई जैसे संगठनों और ऐसे किसी भी अन्य मोर्चा जो देश विरोधी गतिविधियों में लिप्त हैं, विभाजनकारी एजेंडे को आगे बढ़ा रहे हैं और हमारे नागरिकों के बीच कलह पैदा कर रहे हैं, उन्हें प्रतिबंधित किया जाना चाहिए और देश के कानून के अनुसार उनके खिलाफ कार्रवाई शुरू की जानी चाहिए।