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नन चाहती है चर्च छोड़ना, पागल साबित करने की कोशिश

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चर्च के माध्यम से दूसरों की सेवा, दया और भलाई की सीख दी जाती है परंतु सिस्टर मैरी सेबाश्चियन (45) को लग रहा है कि उन्हें चर्च से नुकसान हो सकता है। 


 
 
द न्यूज़ मिनट में प्रकाशित खबर के अनुसार, सेबाश्चियन चर्च छोड़ना चाहती हैं और यह सभी जानते हैं कि चर्च विद्रोहियों के साथ ज्यादा दयालु नहीं। इस साल जनवरी में मैरी ने चर्च छोड़ने का इरादा किया। उन्हें केरल स्थिति सायरो-मालाबार चर्च के चेरथुंगल नसराथुभवन कांवेंट में अपने सीनियर के व्यवहार से तकलीफ थी। 
 
सिस्टर मैरी ने चर्च से बाहर रहने की अनुमति मांगी जो एक नियत समय तक होती है और बाद में वह वापस चर्च आकर रहने लगतीं। चर्च ने इसकी अनुमति नहीं दी उन्हें लगा कि उनका व्यवहार अन्य नन के व्यवहार को प्रभावित करेगा। 
 
सिस्टर मैरी ने केरल के कैथोलिक चर्च रिफोर्मेशन मूवमेंट से संपर्क किया और अपनी समस्या बताई। यह ऑर्गनाइजेशन पूर्व प्रिस्ट और नन की समस्या सुलझाती है। 
 
इसके बाद उन्हें चर्च छोड़ने की अनुमति मिली। इस पर उन्होंने अपनी कमाई हुई धनराशि मांगी ताकि वे आगे जिंदगी चला सकें परंतु चर्च ने  उनके द्वारा मांगी गई 30 लाख रुपए की राशि देने से इंकार कर दिया। काफी बातचीत के बाद उन्हें 1 लाख रुपए देने का चर्च ने मन बनाया। 
 
कुछ दिनों पहले ही सिस्टर मैरी ने ह्यूमन राइट्स कमीशन और महिला आयोग को शिकायत की है कि उन्हें शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताडित किया जा रहा है। उन पर चोरी का इल्जाम लगा थाने में शिकायत दर्ज की गई है। उन पर बच्चों के प्रति अपराध के भी आरोप चर्च द्वारा लगाए जा रहे हैं। 
 
द न्यूज मिनिट में छपी रिपोर्ट के मुताबिक सिस्टर मैरी काफी भयभीत हैं और उन्हें जान का खतरा महसूस हो रहा है। उनके साथ तरह तरह के  अत्याचार किए गए है। सिस्टर मैरी का चर्च छोड़ने का फैसला पहला केस नहीं है। इससे पहले सिस्टर जेस्मे ने भी सुपीरियर्स के व्यवहार से तंग  आकर चर्च छोड़ने का फैसला किया था। उनकी लिखी आटोबॉयोग्राफी 'अमेन : द आटोबॉयोग्राफी ऑफ नन' को लेकर बहुत विवाद हुआ।  
 
सिस्टर मैरी कहती हैं कि वे अपने घर नहीं जा सकतीं। समाज उनका चर्च छोड़ना जीसस के खिलाफ लड़ाई मानता है जबकि हकीकत में वे सिर्फ  चर्च छोड़ना चाहती हैं न कि जीसस। 
 
सिस्टर मैरी के आरोपों को पूरी तरह नकारते हुए कैथोलिक चर्च के डॉक्टर पॉल थेलाक्कट कहते हैं कि चर्च किसी को जाने से नहीं रोकता। उनके  मुताबिक किसी को चर्च छोड़ने के बाद आर्थिक सहायता देने का कोई नियम नहीं है। 
 

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