Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

राज्यों को OBC Lists तैयार करने का अधिकार देने संबंधी संविधान संशोधन बिल लोकसभा से पास

हमें फॉलो करें राज्यों को OBC Lists तैयार करने का अधिकार देने संबंधी संविधान संशोधन बिल लोकसभा से पास
, मंगलवार, 10 अगस्त 2021 (22:22 IST)
नई दिल्ली। लोकसभा ने मंगलवार को अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) से संबंधित ‘संविधान (127वां संशोधन) विधेयक, 2021’ को मंजूरी दे दी जो राज्य सरकार और संघ राज्य क्षेत्र को सामाजिक तथा शैक्षणिक दृष्टि से पिछड़े वर्गों की स्वयं की राज्य सूची/संघ राज्य क्षेत्र सूची तैयार करने के अधिकार को बहाल करने से जुड़ा है।
निचले सदन में इस संविधान संशोधन विधेयक पर मतविभाजन के दौरान पक्ष में 385 मत पड़े और विपक्ष में कोई मत नहीं पड़ा। इस दौरान आरएसपी के एनके प्रेमचंद्रन एवं शिवसेना के विनायक राऊत के संशोधनों को सदन ने अस्वीकृत कर दिया। नियम के अनुरूप संविधान संशोधन विधेयक के रूप में इसे सदन के कुल सदस्यों की संख्या के बहुमत द्वारा या सभा में उपस्थित एवं मत देने वाले सदस्यों के कम से कम दो तिहाई बहुमत से पारित होना जरूरी था।
निचले सदन में सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री डॉ. वीरेंद्र कुमार ने अन्य पिछड़ा वर्ग से संबंधित ‘संविधान (127वां संशोधन) विधेयक, 2021’ पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि सदन में इस संविधान संशोधन के पक्ष में सभी दलों के सांसदों से मिला समर्थन स्वागत योग्य है। उन्होंने कहा कि सभी ने ऐसा ही विचार व्यक्त किया है कि यह विधेयक ओबीसी के हितों को पूरा करने वाला है और इससे प्रत्येक राज्य अपने यहां ओबीसी जातियों के संदर्भ में निर्णय ले सकेंगे। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भाजपा की नीति और नीयत दोनों साफ है। इसी कारण यह विधेयक लेकर आए हैं
 
मंत्री ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि 102वें संशोधन के समय किसी संशोधन का प्रस्ताव नहीं दिया था और ऐसे में कांग्रेस को कोई् सवाल उठाने का नैतिक अधिकार नहीं है। उन्होंने कहा कि मराठा आरक्षण के मुद्दे पर केंद्र सरकार ने महाराष्ट्र सरकार को सशक्त बनाया है। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि वर्तमान विधेयक से राज्य पिछड़ा वर्ग आयोगों को मजबूती मिलेगी और संघीय ढांचा भी मजबूत होगा।
वीरेन्द्र कुमार ने कहा कि इस विधेयक के साथ महाराष्ट्र और दूसरे राज्यों में ओबीसी समुदाय को फायदा मिलेगा। सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री ने कहा कि जहां तक 50 प्रतिशत आरक्षण की सीमा बढ़ाने की बात की है, सरकार इस भावना को समझती है। कई सदस्यों ने आरक्षण की 50 प्रतिशत की सीमा को बढ़ाने की मांग की है जिसे कई दशक पहले तय किया गया था । उन्होंने कहा कि सरकार सदस्यों की भावना से अवगत है। कुमार ने कहा कि इसलिये सभी संवैधानिक एवं कानूनी आयामों पर सावधानीपूर्वक विचार करने की जरूरत है।
 
चर्चा के दौरान कांग्रेस, द्रमुक, समाजवादी पार्टी, शिवसेना सहित कुछ अन्य दलों के सदस्यों ने आरक्षण की 50 प्रतिशत की सीमा को हटाने पर विचार करने की सरकार से मांग की। कई विपक्षी सदस्यों ने जाति आधारित जनगणना कराने की भी मांग की। मंत्री के जवाब के बाद लोकसभा ने मतविभाजन के जरिये ‘संविधान (127वां संशोधन) विधेयक, 2021’ को मंजूरी दे दी। इसे संविधान 105वां संशोधन के रूप में पढ़ा जाएगा।
 
विधेयक के उद्देश्यों एवं कारणों में कहा गया है, ‘‘ यह विधेयक यह स्पष्ट करने के लिये है कि यह राज्य सरकार और संघ राज्य क्षेत्र को सामाजिक और शैक्षणिक दृष्टि से पिछड़े वर्गो की स्वयं की राज्य सूची/संघ राज्य क्षेत्र सूची तैयार करने और उसे बनाये रखने को सशक्त बनाता है।’’
 
इसमें कहा गया है कि देश की संघीय संरचना को बनाए रखने के दृष्टिकोण से संविधान के अनुच्छेद 342क का संशोधन करने और अनुच्छेद 338ख एवं अनुच्छेद 366 में संशोधन करने की आवश्यकता है। यह विधेयक उपरोक्त उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिये है।
 
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने 5 मई के बहुमत आधारित फैसले की समीक्षा करने की केंद्र की याचिका को खारिज कर दिया था जिसमें यह कहा गया था कि 102वां संविधान संशोधन नौकरियों एवं दाखिले में सामाजिक एवं शैक्षणिक रूप से पिछड़े (एसईबीसी) को आरक्षण देने के राज्य के अधिकार को ले लेता है।
 
वर्ष 2018 के 102वें संविधान संशोधन अधिनियम में अनुच्छेद 338 बी जोड़ा गया था जो राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग के ढांचे, कर्तव्यों और शक्तियों से संबंधित है जबकि 342 ए किसी विशिष्ट जाति को ओबीसी अधिसूचित करने और सूची में बदलाव करने के संसद के अधिकारों से संबंधित है। 5 मई को सुप्रीम कोर्ट में न्यायमूर्ति अशोक भूषण के नेतृत्व वाली पांच न्यायाधीशों की संवैधानिक पीठ ने सर्वसम्मति से महाराष्ट्र में मराठा कोटा प्रदान करने संबंधी कानून को निरस्त कर दिया था।
 
विधेयक के उद्देश्यों एवं कारणों में कहा गया है कि संविधान 102वां अधिनियम 2018 को पारित करते समय विधायी आशय यह था कि यह सामाजिक और शैक्षणिक दृष्टि से पिछड़े वर्गों की केंद्रीय सूची से संबंधित है। यह इस तथ्य को मान्यता देता है कि 1993 में सामाजिक एवं शैक्षणिक दृष्टि से पिछड़े वर्गो की स्वयं की केंद्रीय सूची की घोषणा से भी पूर्व कई राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों की अन्य पिछड़े वर्गों की अपनी राज्य सूची/ संघ राज्य क्षेत्र सूची है।
 
लोकसभा में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) से संबंधित संविधान संशोधन विधेयक पर चर्चा के दौरान विपक्षी दलों के सांसदों ने मंगलवार को पेगासस जासूसी मामला उठाया और सरकार से इस मुद्दे पर संसद में चर्चा कराने की मांग की।

गौरतलब है कि 19 जुलाई से संसद का मॉनसून सत्र शुरू होने के बाद से पेगासस जासूसी मामले पर चर्चा कराने की मांग को लेकर कांग्रेस सहित विपक्षी दलों के सदस्य नारेबाजी करते आ रहे हैं। इसके कारण संसद में कामकाज बाधित रहा है और हंगामे के दौरान ही सरकार ने कई विधेयकों को पारित कराया है।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

विपक्ष का हंगामा जारी रहा, पांच बार बाधित होने के बाद राज्यसभा पूरे दिन के लिए स्थगित