Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

लक्षद्वीप में स्थापित किया जा रहा है सागरीय तापीय ऊर्जा रूपांतरण संयंत्र

हमें फॉलो करें science wire
, गुरुवार, 4 अगस्त 2022 (15:42 IST)
नई दिल्ली, महासागर आधारित ऊर्जा को बढ़ावा देने की दिशा में भारत सरकार द्वारा निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं। एक नई पहल के अंतर्गत पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के अधीन कार्यरत चेन्नई स्थित राष्ट्रीय समुद्र प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईओटी) द्वारा केंद्र शासित प्रदेश लक्षद्वीप की राजधानी कावारत्ती में समुद्री तापीय ऊर्जा रूपांतरण संयंत्र (Ocean Thermal Energy Conversion Plant) स्थापित किया जा रहा है।

यह संयंत्र समुद्र के पानी को पीने योग्य बनाने के लिए निम्न तापमान ऊष्मीय विलवणीकरण (LTTD) आधारित विलवणीकरण (Desalination) संयंत्र को संचालित करने के लिए ऊर्जा प्रदान करेगा। इस महासागर तापीय ऊर्जा रूपांतरण संयंत्र की क्षमता 65 किलोवाट है, जिसकी सहायता से प्रतिदिन एक लाख लीटर समुद्री जल को पीने योग्य बनाया सकेगा। केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), पीएमओ, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ जितेंद्र सिंह द्वारा यह जानकारी बुधवार को लोकसभा में एक प्रश्न के उत्तर में प्रदान की गई है।

इसी क्रम में पूछे गए एक अन्य प्रश्न का उत्तर देते हुए केंद्रीय मंत्री ने बताया कि पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय द्वारा संचालित डीप ओशन मिशन के अंतर्गत आगामी वर्षों में गहरे समुद्र की जैव विविधता के अन्वेषण एवं संरक्षण हेतु प्रौद्योगिकी आधारित नवन्मेष तथा जलवायु परिवर्तन से जुड़ी परामर्श सेवाओं का विकास, अंडरवॉटर रोबोटिक्स, गहरे समुद्र में खनन पर जोर दिया जा रहा है।

इसमें 6000 मीटर की समुद्री गहराई हेतु रेटिंग किए गए प्रोटोटाइप मानव युक्त सबमर्सिबल को डिजाइन एवं विकसित करना, जिसमें अंडरवॉटर वाहन एवं अंडरवॉटर रोबोटिक्स के लिए प्रौद्योगिकियाँ शामिल हैं।
डॉ सिंह ने सदन को बताया कि डीप ओशन मिशन के अंतर्गत 5500 मीटर की गहराई में मध्य हिंद महासागर से पॉलीमेटैलिक नॉड्यूल्स जैसे गहरे समुद्री संसाधनों के खनन हेतु प्रौद्योगिकियों की रूपरेखा का विकास, रिमोट चालित वाहनों के उपयोग से व्यवस्थित सैंपलिंग के माध्यम से उत्तरी हिंद महासागर के गहरे समुद्र वाले जीवों के डीएनए बैंक का विकास, सूची-निर्माण तथा नमूनों का एकत्रीकरण एवं विकास किया जाएगा।

डीप ओशन मिशन भारत के विशिष्ट आर्थिक क्षेत्रों और महाद्वीपीय शेल्फ पर केंद्रित गहरे समुद्री क्षेत्रों के अन्वेषण के लिए शुरू की गई एक पहल है। इस कार्यक्रम में समुद्र तल की की पड़ताल करने वाले विभिन्न क्रू और बिना क्रू वाली पनडुब्बियां शामिल होंगी। समुद्री जलस्तर में वृद्धि, चक्रवात की तीव्रता एवं आवृत्ति, तूफानी लहरों तथा पवन लहरों, जैव-रासायनिकी, तथा भारत के तटीय समुद्र में हानिकारक एल्गल ब्लूम्स में बदलाव-जन्य जलवायु जोखिम मूल्यांकन हेतु समुद्री जलवायु परिवर्तन परामर्श सेवाओं का विकास डीप ओशन मिशन से जुड़ी गतिविधियों का अहम हिस्सा हैं। (इंडिया साइंस वायर)

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

सीएम सरमा बोले, जिहादी गतिविधियों का अड्डा बन रहा है असम