one nation, one election : लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने के लिए कम से कम 5 संवैधानिक संशोधनों और बड़ी संख्या में अतिरिक्त इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) व पेपर ट्रेल मशीनों की जरूरत होगी, जिन पर हजारों करोड़ रुपए की लागत आएगी।
संसद की एक समिति ने निर्वाचन आयोग सहित विभिन्न हितधारकों के परामर्श से एक साथ चुनाव कराने के मुद्दे की जांच की थी। समिति ने इस संबंध में कुछ सिफारिशें की हैं। एक साथ चुनाव कराने के लिए व्यावहारिक रूपरेखा और ढांचा तैयार करने के लिए यह मामला अब विधि आयोग के पास भेजा गया है।
अधिकारियों ने कहा कि एक साथ चुनाव कराने से सरकारी खजाने को भारी बचत होगी और बार-बार चुनाव कराने में प्रशासनिक और कानून व्यवस्था मशीनरी की ओर से किए जाने वाले प्रयासों की पुनरावृत्ति से बचा जा सकेगा। यह राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों को उनके चुनाव अभियानों में काफी बचत लाएगा।
उल्लेखनीय है कि सरकार ने 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' की संभावनाएं तलाशने के लिए पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया है। इससे लोकसभा चुनाव का समय आगे बढ़ने की संभावनाओं के द्वार खुल गए हैं ताकि इन्हें कई राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों के साथ ही संपन्न कराया जा सके।
अधिकारियों ने कहा कि लोकसभा और विधानसभा चुनावों के परिणामस्वरूप आदर्श आचार संहिता लंबे समय तक लागू होती है और इसका विकासात्मक और कल्याणकारी कार्यक्रमों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
उन्होंने यह भी कहा कि एक साथ चुनाव कराने के लिए संविधान के कम से कम 5 अनुच्छेदों में संशोधन की आवश्यकता होगी। इनमें संसद के सदनों की अवधि से संबंधित अनुच्छेद 83, राष्ट्रपति द्वारा लोकसभा भंग करने से संबंधित अनुच्छेद 85, राज्य विधानसभाओं की अवधि से संबंधित अनुच्छेद 172, राज्य विधानसभाओं के विघटन से संबंधित अनुच्छेद 174 और अनुच्छेद 356 जो राज्यों में राष्ट्रपति शासन लगाने से संबंधित है।
इसके साथ ही भारत की शासन प्रणाली के संघीय ढांचे को ध्यान में रखते हुए सभी राजनीतिक दलों की आम सहमति की भी आवश्यकता होगी। इसके अलावा, यह जरूरी है कि सभी राज्य सरकारों की आम सहमति प्राप्त की जाए।
इसके लिए अतिरिक्त संख्या में ईवीएम और वीवीपीएटी (पेपर ट्रेल मशीन) की भी आवश्यकता होगी, जिसकी लागत हजारों करोड़ रुपए होगी।
एक मशीन का जीवन केवल 15 साल के होता है, इसका मतलब यह होगा कि एक मशीन का उपयोग उसके जीवन काल में लगभग 3 या 4 बार किया जा सकेगा। उन्हें हर 15 साल में बदलने की आवश्यकता होगी। इस व्यापक लोकतांत्रिक प्रक्रिया के लिए अतिरिक्त मतदान कर्मियों और सुरक्षा बलों की भी आवश्यकता होगी। (भाषा)
Edited by : Nrapendra Gupta