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बड़ा सवाल! पेटीएम करो मगर धोखाधड़ी कौन रोकेगा...

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नोटबंदी के बाद से ही मोदी सरकार ने ऑनलाइन भुगतान को बढ़ावा देने का हरसंभव प्रयास कर रही है। कभी वह भुगतान पर लगने वाले करों में छूट देती है तो कभी ऑनलाइन लेन-देन को बढ़ावा देने के लिए इनामों की बौछार कर देती है। 
 
डिजिटल लेन-देन की सुविधा देने वाली कंपनी पेटीएम ने दावा किया है कि 48 ग्राहकों ने उसके साथ 6.15 लाख रुपए की धोखाधड़ी की। सीबीआई ने इस संबंध में मामला दर्ज किया।
 
यह तो मात्र एक उदाहरण है। साइबर वर्ल्ड में इस तरह की घटनाएं अकसर देखने-सुनने को मिलती है। जब ऑनलाइन भुगतान की प्रक्रिया से अभ्यस्त व्यक्ति भी यहां धोखेबाजी का शिकार होकर हजारों-लाखों रुपए गंवा सकता है तो आम आदमी की क्या बिसात।  
 
इस कंपनी में तो कई बड़े साइबर विशेषज्ञ है और उनकी वे भी इस मायाजाल में उलझ कर रह गए। अगर वे धोखाधड़ी का शिकार हो गए तो आम आदमी के साथ तो भी आसानी से धोखा हो सकता है। 
 
साइबर एक्सपर्ट भी कह चुके हैं कि ऑनलाइन लेन-देन पूरी तरह सुरक्षित नहीं है। कुछ विशेषज्ञों ने दावा किया है कि किसी भी कार्ड को मात्र 6 सेकंड्स में हैक किया जा सकता है। 
 
अब सवाल यह उठ रहा है कि सरकार तो पेटीएम जैसी ऑनलाइन भुगतान कंपनियों पर भरोसा कर रही है मगर इन वेबसाइटों पर होने वाली धोखाधड़ी को कौन रोकेगा। क्या सरकार को ऑनलाइन भुगतान के लिए सख्त सुरक्षा तंत्र नहीं बनाना चाहिए। 

उल्लेखनीय है कि सरकार ने संसद में एक सवाल के जवाब में कहा कि वर्ष 2011 से लेकर पिछले पांच वर्षों में साइबर अपराधों की घटनाओं में 424 प्रतिशत की वृद्धि हुई है और इस तरह के अपराधों को रोकने के लिए विभिन्न स्तरों पर प्रयास किए जा रहे हैं।

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