नई दिल्ली। रेल बजट का आम बजट में विलय करने पर सरकार को घेरते हुए विपक्ष ने आरोप लगाया कि इससे रेलवे की स्वायत्तता प्रभावित होगी और जन कल्याण के लिए आवंटन प्रभावित होगा। वहीं भाजपा ने कहा कि सरकार ने पहली बार रेलवे को सस्ती लोकप्रियता के दायरे से निकालकर इसके आर्थिक सुदृढ़ीकरण एवं आधुनिकीकरण पर बल दिया गया है।
लोकसभा में वर्ष 2017-18 के लिए रेल मंत्रालय के नियंत्रणाधीन अनुदान की मांगों पर मंगलवार को शुरू हुई चर्चा को आगे बढ़ाते हुए राकांपा के तारिक अनवर ने कहा कि रेल बजट के आम बजट में विलय की देश में आलोचना हुई है क्योंकि इसे रेलवे को कमतर करने का प्रयास बताया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि आज की तारीख में सार्वजनिक परिवहन में रेलवे का सबसे बड़ा स्थान है और हर दिन करीब 3 करोड़ लोग रेल से सफर करते हैं। इसके साथ ही 70 प्रतिशत माल ढुलाई रेलवे के माध्यम से होती है। इसके बावजूद रेलवे के महत्व को कम करना ठीक नहीं है।
अनवर ने कहा कि सरकार बुलेट ट्रेन की बात करती थी लेकिन इस बार के बजट में बुलेट ट्रेन का कोई जिक्र नहीं है। रेलवे में सुविधाओं के विकास एवं आधुनिकीकरण का कोई खाका पेश नहीं किया गया है।
भाजपा के गणेश सिंह ने कहा कि रेल बजट को केंद्रीय बजट में शामिल करना सरकार का ऐतिहासिक कदम है। इसके साथ ही एक लाख करोड़ की रेल सुरक्षा निधि का प्रस्ताव रेलवे की संरक्षा, सुरक्षा के संदर्भ में महत्वपूर्ण पहल है।
उन्होंने कहा कि सरकार ने यात्री सुरक्षा, सुविधाओं को बेहतर बनाने, लंबित परियोजनाओं को पूरा करने के साथ दोहरीकरण, आमान परिवर्तन, रेल विद्युतीकरण को प्राथमिकता दी है।
भाजपा के रवीन्द्र कुमार रे ने कहा कि रेलवे को सस्ती लोकप्रियता के दायरे से निकालकर समग्र दृष्टि से इसके आर्थिक सुदृढ़ीकरण एवं आधुनिकीकरण की पहल की गई है।
उन्होंने कहा कि व्यापरिक सोच की बजाए जन कल्याण को अधिक महत्व दिया गया है और इसमें रेलवे के आर्थिक सुदृढ़ीकरण पर विशेष जोर दिया गया है। (भाषा)