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प्रधानमंत्री से मिले कश्मीर के विपक्षी नेता, पैलेट गन पर बैन लगाने की मांग की

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नई दिल्ली , सोमवार, 22 अगस्त 2016 (11:14 IST)
नेशनल कॉफ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला के नेतृत्व में कश्मीर के विपक्षी नेताओं ने सोमवार को प्रधानमंत्री से मिलकर कश्मीर के राजनीतिक समाधान और पैलट गन के इस्तेमाल पर रोक की वकालत की।
जम्मू और कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के नेतृत्व में राज्य के विपक्षी नेताओं के एक शिष्टमंडल ने कश्मीर के हालात पर चर्चा के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सोमवार को मुलाकात कर एक ज्ञापन सौंपकर राज्य में पैलेट बंदूकों पर 'तत्काल' प्रतिबंध लगाने की मांग की। उमर के नेतृत्व में शिष्टमंडल ने प्रधानमंत्री मोदी से अनुरोध किया कि वे कश्मीर घाटी में सभी पक्षों के साथ तुरंत बातचीत शुरू करें।
 
जानकारी के अनुसार, कश्मीर में अशांति के बीच राज्य के विपक्षी दलों का एक शिष्टमंडल प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मुलाकात कर रहा है और संकट के 'राजनीतिक समाधान' के लिए सभी पक्षों के साथ बातचीत शुरू करने की जरूरत पर बल दे रहा है।
 
गौरतलब है कि राज्य में 8 जुलाई को हिजबुल मुजाहिदीन आतंकी बुरहान वानी के सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड में मारे जाने के बाद से हिंसा का दौर जारी है।
 
शिष्टमंडल में माकपा विधायक मोहम्मद युसुफ तारिगामी, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीए मीर, नेशनल कांफ्रेंस के वरिष्ठ नेता और कुछ निर्दलीय विधायक शामिल हैं। विपक्षी दलों के सूत्रों ने बताया कि वे प्रधानमंत्री से आग्रह करेंगे कि वे राज्य सरकार को स्थिति से प्रशासनिक तौर पर निपटने से रोके क्योंकि इससे लोगों में, खासकर युवाओं में अभूतपूर्व विलगाव पैदा हो रहा है। सूत्रों ने कहा कि वह और समय बर्बाद किये बिना अशांति को समाप्त करने के लिए सभी पक्षों के साथ विश्वसनीय और अर्थपूर्ण वार्ता की जरूरत को रेखांकित करेगा।
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इससे पहले कश्मीर घाटी में पिछले 44 दिनों से जारी कर्फ्यू के बीच जम्मू और कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने रविवार को राज्य के विपक्षी दलों के संयुक्त शिष्टमंडल के साथ कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी से मुलाकात की। उमर अब्दुल्ला के नेतृत्व वाले इस शिष्टमंडल ने राज्य में हिंसक अशांति की स्थिति से निपटने के लिए राजनीतिक समाधान निकाले जाने की वकालत की। राज्य में अब तक 71 लोगों की मौत हो चुकी है। इस शिष्टमंडल ने बीते दिनों राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से मुलाकात भी की थी।


उमर के अलावा इस शिष्टमंडल में प्रदेश कांग्रेस का सात सदस्यीय दल और मुख्य विपक्ष नेशनल कांफ्रेंस का आठ सदस्यीय दल शामिल है। शिष्टमंडल में कांग्रेस दल का नेतृत्व प्रदेश कांग्रेस समिति के प्रमुख जीए मीर कर रहे हैं। नेशनल कांफ्रेंस के दल में इसके प्रांतीय प्रमुख नसीर वानी और देविंदर राणा भी हैं। इनके अलावा माकपा के विधायक एम वाई तरीगामी भी इस शिष्टमंडल में शामिल हैं।
 
शिष्टमंडल ने घाटी में लोगों की मौतों पर नाराजगी और दुख प्रकट करते हुए और 'हालात से निपटने में राजनीतिक रुख के अभाव पर निराशा जाहिर करते हुए' प्रधानमंत्री को एक ज्ञापन सौंपा। शिष्टमंडल ने प्रधानमंत्री को बताया कि कश्मीर में राजनीतिक समस्या का निपटान राजनीतिक तरीके से करने के बजाय पहले भी आजमाए जा चुके प्रशासनिक तरीकों से करने के कारण स्थिति और अधिक बिगड़ी है और 'इसके कारण असंतोष और मोहभंग की अभूतपूर्व अनुभूति पैदा हुई है।' यह भावना विशेष तौर पर युवाओं में पनपी है।
 
ज्ञापन में कहा गया, 'हमारा यह दृढ़ मत है कि केंद्र सरकार को अब और अधिक समय बर्बाद नहीं करना चाहिए और राज्य में व्याप्त अशांति से निपटने के लिए सभी पक्षों के साथ विश्वसनीय और अर्थपूर्ण राजनीतिक संवाद शुरू कर देना चाहिए।'
 
शिष्टमंडल ने कहा, 'कश्मीर में व्याप्त अशांति पर गौर करने में लगातार विफल रहने से अलगाव की भावना और अधिक गहरी होगी।' इसके साथ ही शिष्टमंडल ने उम्मीद जताई कि प्रधानमंत्री 'इस नाजुक स्थिति से निपटने के लिए तत्काल उपाय करेंगे।' (भाषा)

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