यह बात कई बार साबित हो चुकी है कि भारत स्थित पाकिस्तानी दूतावास भारत में जासूसी और विद्रोह फैलाने का कार्य करता है। ताजा घटनाक्रम में उत्तर प्रदेश पुलिस की आतंकवाद रोधी स्क्वॉयड (एटीएस) द्वारा गिरफ्तार किए गए तीन संदिग्ध आईएसआई एजेंटों ने इस बात का खुलासा किया।
उनके तार पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई और नई दिल्ली स्थित पाकिस्तानी उच्चायोग से जुड़े थे। पाकिस्तानी उच्चायोग और पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई को भारतीय सेना की गोपनीय सूचनाएं मुहैया कराने वाले तीन एजेंटों में से एक आफताब अली को लखनऊ की एक अदालत ने 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है। आफताब को बुधवार (3 मई) को फैजाबाद से गिरफ्तार किया गया था।
राज्य के अपर पुलिस महानिदेशक (कानून व्यवस्था) आदित्य मिश्र ने यहां संवाददाताओं को बताया, 'आईएसआई एजेंट की निगरानी कुछ दिन से चल रही थी। फैजाबाद में कल आफताब अली को पकडा गया। उससे पूछताछ के आधार पर मुंबई से कल ही अल्ताफ कुरैशी को पकड़ा था जो आफताब के खाते में धन भेजता था।' उन्होंने बताया कि एक अन्य संदिग्ध आईएसआई एजेंट जावेद को गुरुवार (4 मई) को मुंबई में गिरफ्तार किया गया। जावेद हवाला डीलर है जिसके माध्यम से पैसा आया था।
मिश्र ने कहा, 'मुंबई में पकड़े गए दोनों अभियुक्तों की ट्रांजिट रिमांड की कोशिश की जा रही है और एक दो दिन में उन्हें लखनऊ लाया जाएगा।' जब पूछा गया कि क्या ये एजेंट भारतीय सेना के किसी अधिकारी के संपर्क में थे तो मिश्र ने कहा कि ऐसी कोई सूचना नहीं है। उन्होंने बताया कि आईएसआई एजेंटों की गतिविधियों के भंडाफोड़ में 'मिलिट्री इंटेलिजेंस' से काफी अधिक सहयोग मिला।
उन्होंने बताया कि एटीएस ने लगातार निगरानी के बाद आफताब को पर्याप्त साक्ष्यों के आधार पर फैजाबाद से गिरफ्तार किया जबकि मुंबई से दो अन्य एजेंट गिरफ्तार हुए। ये सभी पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के अलावा नयी दिल्ली स्थित पाकिस्तानी उच्चायोग को सेना की गोपनीय सूचनाएं देते थे।
विशेष मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट आजाद सिंह ने आफताब को 17 मई तक न्यायिक हिरासत में भेजा। आफताब को गिरफ्तार करने वाले उत्तर प्रदेश पुलिस के आतंकवाद रोधी स्क्वायड :एटीएस: ने अदालत से उसे दस दिन की पुलिस रिमांड पर देने का आग्रह किया था। न्यायमूर्ति सिंह ने सुनवाई की अगली तारीख पांच मई तय की है। एटीएस ने कहा कि आरोपी ने चूंकि स्वीकार कर लिया है कि वह पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई का जासूस है, इसलिए उससे पूछताछ की जरूरत है।
आफताब को फैजाबाद से बुधवार (3 मई) को पकड़ा गया था। यूपी एटीएस ने महाराष्ट्र पुलिस के साथ संयुक्त कार्रवाई करते हुए मुंबई से भी दो अन्य संदिग्ध पकड़े। ये सभी एक गुप्तचर रैकेट का हिस्सा थे, जो नयी दिल्ली स्थित पाकिस्तानी उच्चायोग से संबद्ध था। मिश्र ने बताया कि आफताब को पाकिस्तानी उच्चायोग का अधिकारी मेहरबान अली मिला और उसने आफताब से अपने लिए काम करने को कहा। अली ने आफताब से वायदा किया कि वह उसे पाकिस्तान का वीजा दिलवा देगा।
उन्होंने बताया कि मेहरबान अली को पिछले साल निष्कासित कर दिया गया था। उसकी जगह कोई अन्य 'हैण्डलर' आया। जब पूछा गया कि नया हैण्डलर भी क्या पाकिस्तानी उच्चायोग से ही संबद्ध है तो मिश्र ने कहा कि इस पहलू की जांच की जा रही है। मिश्र ने बताया कि मेहरबान अली के कहने पर फैजाबाद सेना का कुछ वीडियो एवं फोटो आफताब ने उपलब्ध कराया, जिसके बाद मेहरबान ने उसका वीजा करा दिया। आफताब एक मई 2014 को पहली बार आफताब वाघा बॉर्डर पार कर लाहौर गया।
मिश्र ने बताया कि इसके बाद आफताब पाकिस्तान के कराची शहर स्थित ग्रीन टाउन में अपनी नानी के घर तीन महीने रहा। वहीं उससे आईएसआई के एजेंट मेहरबान के कहने पर मिले और उसे प्रशिक्षण दिलाया। तीन महीने बाद 29 नवंबर 2014 को वापस भारत आकर वह मेहरबान से मिलता रहा। उन्होंने बताया कि आठ मई 2016 को आफताब फिर अटारी सीमा से होकर पाकिस्तान के कराची शहर गया और प्रशिक्षण लेने के बाद 28 जून 2016 को वापस भारत आया। इस दौरान वह पाकिस्तान उच्चायोग के लगातार संपर्क में रहा।
मिश्र ने बताया कि आफताब फोन पर सेना की गतिविधियों के बारे में बात करता था। सेना की गतिविधियों विशेषकर फैजाबाद और लखनऊ में सैन्य गतिविधियों के बारे में, उनकी बटालियनों की नियुक्ति, सैन्य प्रतिष्ठान, ट्रेन से जा रहे सेना की रेजिमेंट के जाने का समय, अमृतसर में सेना की पलटन की संख्या जैसी जानकारियां साझा करता था। सूचनाओं के बदले आफताब के खाते में अल्ताफ धन जमा करता था।
यह पूछने पर कि क्या इस प्रकरण में भारतीय सेना के किसी अधिकारी को फांसने के लिए महिलाओं को इस्तेमाल (हनी ट्रैप) किया गया तो उन्होंने कहा कि ऐसी कोई जानकारी नहीं है। हमारे पास सिर्फ फोटो और फोन ब्यौरे से जुड़े साक्ष्य हैं। एक सवाल के जवाब में मिश्र ने कहा कि अभी तीन एजेंट पकड़े गए हैं। उनसे पूछताछ के बाद और गिरफ्तारियां हो सकती हैं। (एजेंसी)