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पाक आतंकी का सनसनीखेज खुलासा, उड़ जाएगी खुफिया एजेंसियों की नींद...

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नई दिल्ली , बुधवार, 23 मई 2018 (14:26 IST)
नई दिल्ली। हाफिज सईद के नेतृत्व वाले लश्कर-ए-तैयबा की छात्र शाखा, अल मुहम्मदिया स्टूडेंट्‍स (एएमएस) ने एक ऐसा मोबाइल हैंडसेट विकसित किया है जोकि केवल लश्कर सदस्यों के लिए एक दूसरे से संपर्क करने के लिए बनाया गया है। सुरक्षाबलों के हत्थे चढ़े एक आतंकवादी ने एनआईए से पूछताछ में कई सनसनीखेज खुलासे किए हैं, जो खुफिया एजेंसियों की नींद उड़ाने के लिए काफी है। 
 
अंग्रेजी दैनिक टाइम्स ऑफ इंडिया में प्रकाशित एक समाचार के अनुसार जब एक विशेष चिप को हैंडसैट में डाला जाता है तो यह अपने आप ही नजदीकी मोबाइल टॉवर से जुड़ जाता है और इसमें इस बात का कोई फर्क नहीं पड़ता है कि मोबाइल टॉवर से जुड़ा टेलिकॉम सर्विस प्रोवाइडर कौन है। विशेष तौर पर बनाए गए इस  हैंडसेट के जरिए की गई कॉल्स को भारतीय खुफिया एजेंसियां भी नहीं पकड़ सकती हैं। इससे केवल संगठन के सदस्य भी एक दूसरे से संपर्क कर सकते हैं।  
 
इसके बावजूद अगर खुफिया एजेंसीज इस उपकरण से वार्तालाप को पकड़ने की कोशिश करती हैं तो कॉल अपने आप ही खत्म हो जाएगी। इस तरह की अन्य खतरनाक जानकारियां पाक के मुल्तान में प्रशिक्षित लश्कर आतंकवादी, जैबुल्लाह उर्फ हमजा ने पूछताछ के दौरान सुरक्षा बलों को दी हैं। हमजा से नेशनल इनवेस्टिगेशन एजेंसी (एनआईए) ने पूछताछ की थी। विदित हो कि जैबुल्लाह को 7 अप्रैल को कुपवाड़ा के जुगदियाल क्षेत्र से गिरफ्तार किया गया था।  
 
पीओके में चलते हैं भूमिगत आतंकी शिविर : पाकिस्तान में एक आयकर अधिकारी के बेटे जैबुल्लाह ने यह भी दावा किया है कि लश्कर और इसका पितृ संगठन जमात उद दावा पाक अधिकृत कश्मीर के मुजफ्फराबाद के जंगलों में 'भूमिगत' प्रशिक्षण शिविर चलाता है। इस आतंकवादी संगठन ने वर्ष 2017 में समूचे पाकिस्तान से भारत विरोधी गतिविधियों के लिए 450 लड़कों को चुना था और इनमें से जिन लड़कों को आतंकवादी कामों को चुना गया था, उन्हें और कड़ी ट्रेनिंग के लिए दूसरे शिविरों में भेज दिया गया था। इन लड़कों की उम्र 15 से 25 वर्ष के बीच है।  
 
यहां तैयार होते हैं आत्मघाती : जैबुल्लाह का कहना है कि मुजफ्‍फराबाद के जंगलों में जो प्रशिक्षण शिविर है वह केवल फिदायीनों (आत्मघाती हमलावरों) के लिए बनाया गया है और यह मस्कर खैबर क्षेत्र में स्थित है। विदित हो कि इस सारी पूछताछ का विवरण टाइम्स ऑफ इंडिया के पास है। खुफिया एजेंसियों को शक है कि कश्मीरी युवाओं में बढ़ते उग्रवाद के पीछे उनका अटारी के जरिए पाकिस्तान की यात्राएं करना है। 
 
जैबुल्लाह का कहना है कि ग्रुप के सात कैम्प हैं जिनमें से मनसेरा के ताबुक में है जहां बुनियादी तौर पर शारीरिक प्रशिक्षण दिया जाता है। मुजफ्फराबाद के अक्सा मस्कर में हथियारों का प्रशिक्षण, जीपीएस और जीवित रहने के तरीके सिखाए जाते हैं। केएफसी या कराची फूड सेंटर को लांच पैड्स के लिए राशन उपलब्ध कराने के लिए बनाया गया है। मुजफ्फराबाद के दाखन में लड़ाई और पहाड़ों पर चढ़ने की ट्रेनिंग दी जाती है।
 
इसी तरह से जमात उद दावा और लश्कर का मुख्यालय शहर में खालिद बिन वलीद कहा जाता है, जहां से सारे देश के आतंकवादी शिविरों, केन्द्रों के लिए उपकरण, हथियार, गोला-बारूद, राशन, कपड़े, वाहद और कच्चा माल भेजा जाता है।
 
इन सारी बातों की जानकारी खुफिया एजेंसियों को दे दी गई है। पूछताछ में जैबुल्लाह ने बताया कि कट्टर आत्मघाती फिदायीन भारत में घुसने के लिए हमेशा तैयार रहते हैं और किसी भी समय पर इनकी संख्‍या 30 से 40 होती है।
 
23 मार्च को भारत में घुसा था जैबुल्लाह : उसका कहना है कि वह खुद 2-3 मार्च को इसी वर्ष भारत में घुसा था और उसके साथ पांच साथी भी थे। इनमें ग्रुप का कमांडर वकास (लाहौर निवासी), शूरम (बहावलपुर), फैदुल्लाह (लाहौर), उमर (सिंध), कारी (दीर, पाकिस्तान) भी शामिल था और वे लोग दूधनियाल के जरिए पा‍क अधिकृत कश्मीर के तेजिया में पहुंचे थे। इनमें से सभी 5 भारतीय सेना के साथ हुई मुठभेड़ में 20 मार्च को मारे गए थे। इस मुठभेड़ में उसके हाथ में भी एक गोली लगी थी लेकिन वह भाग निकलने में सफल हो गया था लेकिन 15 दिन बाद पकड़ा गया था। 
 
इस तरह होती है आतंकियों की विदाई : जैबुल्लाह का कहना है कि जब वह जनवरी 2017 में दाखन में भूमिगत ट्रेनिंग ले रहा था तब लश्कर का ऑपरेशनल कमांडर और मुंबई आतंकवादी हमलों का मास्टरमाइंड जकी उर रहमान लखवी भी दो महीनों तक प्रशिक्षण लेने वालों के साथ रहा था। लखवी ने इन सभी को जिहाद के लिए प्रेरित किया और सभी को गले लगाकर विदा किया था।
 
बाद में जब उसे मुजफ्‍फराबाद के शिविर में भेजा गया था तब वहां लश्कर प्रमुख हाफिज सईद भी वहां आया था और उसने भी लड़कों को जिहाद के लिए प्र‍ेरित किया और उसे गले लगाकर विदा किया था। कहा जाता है कि उसके पिता ने भी जिहादी गतिविधियों के लिए भी उसे प्रेरित किया था और प्रति माह जिहाद फंड में एक हजार रुपए का चंदा दिया था।
 

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