कश्मीर में हिसा भड़का कर इसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हवा देने की कोशिश में जुटे पाकिस्तानी हुक्मरानों को दांव उलटा पड़ सकता है। भारत ने भी गुलाम कश्मीर को लेकर कूटनीतिक पहल बढ़ाने के संकेत दिए हैं।
पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) से विस्थापित होकर भारत आए लोगों को केंद्र सरकार दो हजार करोड़ रुपये का पैकेज देने की योजना बना रही है। इसके अलावा अगले वर्ष होने वाले प्रवासी भारतीय दिवस में गुलाम कश्मीर, गिलगिट और बाल्टिस्तान के लोगों को विशेष रूप से आमंत्रित करने पर भी विचार किया जा रहा है।
सरकारी सूत्रों के मुताबिक, पाक अधिकृत कश्मीर से भारत आए हजारों कश्मीरी दशकों बीत जाने के बावजूद बेहद खराब जीवन जी रहे हैं। इन्हें बेहतर जीवन स्तर मुहैया कराना भारत का कर्तव्य है, क्योंकि इन्होंने अपनी बेहतरी के लिए भारतीय लोकतंत्र को पसंद किया है। ऐसे में सरकार इनके लिए 2,000 करोड़ रुपये का पैकेज लाने पर विचार कर रही है।
पैकेज का स्वरूप गृह मंत्रालय ने तैयार किया है। इसे जल्द ही कैबिनेट के पास मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। जम्मू-कश्मीर सरकार ने 36,348 ऐसे परिवारों का चयन किया है, जिन्हें यह पैकेज दिया जाना है। मोटे तौर पर हर परिवार को 5.5 लाख रुपये की राशि बतौर अनुदान मिलेगी।
गुलाम कश्मीर या बलूचिस्तान को लेकर भारत की नई कूटनीति यहीं खत्म नहीं होने जा रही है। भारत अगले वर्ष बेंगलुरु में होने वाले प्रवासी भारतीय दिवस में पीओके, गिलगिट और बाल्टिस्तान के नुमाइंदों को खास तौर पर बुला सकता है। विदेश मंत्रालय में विचार-विमर्श चल रहा है कि किस तरह से दुनिया के अन्य हिस्सों में रह रहे इस क्षेत्र के लोगों से संपर्क साधा जाए और उन्हें इस मौके पर बुलाया जाए।
सूत्रों के मुताबिक, पहले के प्रवासी भारतीय दिवस में भी इन इलाकों के कुछ प्रतिनिधि हिस्सा लेते रहे हैं। लेकिन अब हालात बदल चुके हैं। एक सोच यह है कि इन प्रतिनिधियों को अब नत्थी लगा हुआ वीजा दिया जाए। जैसा कि कुछ समय पहले तक चीन भारतीय हिस्से वाले जम्मू-कश्मीर के लोगों को देता रहा है। नत्थी लगे वीजा का मतलब है कि भारत उस व्यक्ति के पास जिस देश का पासपोर्ट है, उसे स्वीकार नहीं करता। इससे पाकिस्तान की मुश्किलें और बढ़ सकती हैं। (भाषा)