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...तो आधा घंटे में पहुंच जाएंगे पाकिस्तान

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सुरेश एस डुग्गर

सुचेतगढ़ (जम्मू फ्रंटियर-जम्मू कश्मीर)। किसी भी यात्री बस में बैठकर मात्र आधे घंटे में पाकिस्तान पहुंचा जाए तो कैसा लगेगा। यह कोई सपना नहीं बल्कि एक हकीकत है। देर बस इस बात की है कि इस हकीकत को पूरा करने के लिए जो जी-तोड़ कोशिशें हो रही हैं उन्हें पूरा होने में कितना समय लगता है। 
यह सच है कि जम्मू कश्मीर की जनता को पाकिस्तान पहुंचने के लिए आधे घंटे से कम समय लगेगा अगर दोनों देश उस जम्मू-सियालकोट सड़क को पुनः खोलने पर राजी होते हैं जिसे खुलवाने का बहुतेरा प्रयास स्व. मुफ्ती मुहम्मद सईद भी कर चुके हैं। जम्मू कश्मीर की एकमात्र यही सड़क है जो दो मुल्कों को मिलाती है और जो पिछले 69 सालों से सही हालात में है। इसका इस्तेमाल आज भी संयुक्त राष्ट्र पर्यवेक्षकों द्वारा हिन्दुस्तान व पाकिस्तान आने-जाने के लिए किया जाता है। इस सड़क की एक सच्चाई यह है कि यह आज भी एकदम अच्छी अवस्था में है जिस प्रकार देश के बंटवारे के पूर्व थी।
 
चर्चाओें में जम्मू कश्मीर की पांच सड़कें थीं जो पाकिस्तान तथा पाकिस्तानी कब्जे वाले कश्मीर को राज्य से मिलाती थीं। यूं तो छोटे-मोटे कई रास्ते पाकिस्तानी कब्जे वाले कश्मीर की ओर जाते हैं, लेकिन जम्मू-सियालकोट, पुंछ-मीरपुर, पुंछ-कोटली, श्रीनगर-मुज्जफराबाद तथा कारगिल से पाक कब्जे वाले कश्मीर की ओर जाने वाली सड़कें आज सबसे अधिक चर्चा में हैं। इनमें से दो, श्रीनगर-मुज्जफराबाद तथा पुंछ-रावलाकोट को पहले ही खोला जा चुका है।
 
देश के विभाजन के उपरांत श्रीनगर-रावलपिंडी सड़क को बंद कर दिया गया था ठीक उसी प्रकार जम्मू-सियालकोट सड़क को बंद किया गया था। श्रीनगर-रावलपिंडी की सड़क नियंत्रण रेखा की परिस्थितियों की शिकार हो गई थी। इस कारण वह तब तक आने जाने के काबिल नहीं रह गई थी जब तक उसको खोलकर उस पर कारवां-ए-अमन के परिचालन को आरंभ नहीं किया गया था। मगर जम्मू-सियालकोट सड़क अंतरराष्ट्रीय सीमा क्षेत्र में आने से आज भी शांति का एक प्रतीक मानी जाती है।
 
यह शांति का प्रतीक इसलिए भी मानी जाती है क्योंकि जिस सुचेतगढ़ सैक्टर से होकर यह दोनों देशों में से गुजरती है, हिन्दुस्तान की ओर से ऑक्ट्राय पोस्ट व पाकिस्तान की ओर से पीली पोस्ट से गुजरती है, वह दोनों सीमा चौकियां दोनों देशों की सेनाओं के बीच बैठक करने के लिए इस्तेमाल की जाती हैं। यह भी सच है कि अंतरराष्ट्रीय सीमा पर तारबंदी को रुकवाने तथा घुसपैठ करवाने के लिए पाकिस्तान द्वारा जो गोलीबारी की जाती रही है पिछले कई सालों से उससे यह सड़क बची हुई है।
 
अगर नेताओं व लोगों की बात मानते हुए दोनों देश इस सड़क मार्ग को खोलने पर राजी होते हैं तो पाकिस्तान पहुंचने में मात्र आधा घंटा लगेगा। ऐसा इसलिए है क्योंकि जम्मू से सियालकोट मात्र 25 किमी की दूरी पर है और इस सीमा चौकी से मात्र 11 किमी। ऐसा होने से जम्मू कश्मीर की जनता को वाघा सीमा से पाकिस्तान जाने की 20 घंटों की यात्रा से बचना आसान होगा। यूं तो पुंछ से मीरपुर मात्र 29 किमी और कोटली 35 किमी की दूरी पर है और सबसे लम्बा रास्ता उड़ी-मुज्जफराबाद की सड़क तय करती है।

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