साल 2020 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राजधानी दिल्ली में नए संसद भवन की नींव रखी थी। उस दिन उन्होंने कहा था, आज ऐतिहासिक दिन है, अत्याधुनिक सुविधाओं के साथ हमारा नया संसद भवन दुनिया का सबसे आधुनिक भवन होगा, और यह मिल का पत्थर साबित होगा।
साल 2020 में पीएम मोदी की इस घोषणा के बाद देश के हर व्यक्ति के मन में यह सवाल है कि आखिर भारत का नया संसद भवन कैसा होगा, और कैसे यह पुराने संसद भवन से अलग होगा। जानते हैं पुराने भवन के इतिहास, उसके महत्व के साथ ही प्रस्तावित नए संसद भवन की प्लानिंग, डिजाइंस , एरिया से लेकर उसकी लागत तक की तुलनात्मक जानकारी।
क्यों दुनिया की संसदों से होगा अलग?
नया प्रस्तावित संसद भवन बेहद आधुनिक बताया जा रहा है। आज के यानी नए दौर के काम के मुताबिक इसमें तमाम डिजिटल सुविधाओं के साथ ही पेपरलेस दफ्तरों की प्लानिंग की गई है। स्पेस से लेकर पार्किंग तक, आराम कक्षों से लेकर सुविधाओं से लैस आधुनिक दफ्तरों तक, सिक्योरिटी से लेकर डिजिटल या ऑनलाइन सुविधाओं तक। इसमें सबकुछ होगा। कुल मिलाकर इसे आने वाले कई सालों को ध्यान में रखकर प्लान किया गया है।
क्या और कैसी होंगी सुविधाएं?
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संसद के नए भवन में निचले सदन लोकसभा के 888 सदस्यों के बैठने की व्यवस्था की गई है।
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नई इमारत में लोकसभा भूतल यानी ग्राउंड फ्लोर पर होगी।
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उच्च सदन राज्यसभा के 384 सदस्य इस भवन में बैठ सकेंगे।
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यह भविष्य में सांसदों की संख्या में वृद्धि को ध्यान में रखकर किया गया है।
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भारत में अभी लोकसभा में 543 और राज्यसभा में 245 सीटें हैं।
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अगर संयुक्त बैठक होती है तो नए संसद भवन में 1272 सदस्यों के बैठने की सुविधा होगी।
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नए भवन में सभी सांसदों के लिए अलग दफ़्तर।
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आधुनिक डिजिटल और पेपरलेस काम की सुविधाएं।
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नई इमारत में एक भव्य कॉन्स्टीच्यूशन हॉल या संविधान हॉल होगा।
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इस हॉल में देश की लोकतांत्रिक विरासत से जुड़ें विषयों को दर्शाया जाएगा।
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नए भवन में भारत के संविधान की मूल प्रति को भी रखा जाएगा।
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सांसदों के बैठने के लिए बड़ा हॉल, एक लाइब्रेरी, समितियों के लिए कई कमरे, भोजन कक्ष और एक बड़ी वाहन पार्किंग की व्यवस्था होगी।
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इस पूरे प्रोजेक्ट का निर्माण क्षेत्र 64,500 वर्गमीटर होगा। यह मौजूदा संसद भवन से 17,000 वर्गमीटर अधिक होगा।
नए भवन के निर्माण में कितना धन ख़र्च होगा?
जहां पुराने संसद भवन के निर्माण में महज 83 लाख रुपए ख़र्च हुए थे, वहीं नई इमारत के निर्माण में करीब 971 करोड़ रुपए का खर्च बताया जा रहा है। समय के साथ ये लागत बढ़ भी सकती है। इस इमारत का निर्माण क्षेत्र 64,500 वर्गमीटर होगा, जो मौजूदा संसद भवन से 17,000 वर्गमीटर ज्यादा होगा।
यानी नई इमारत पुराने भवन से कई गुना ज्यादा विशाल होगी। नई इमारत के अलावा एक कॉमन केंद्रीय सचिवालय बनाया जाएगा, जहां मंत्रालयों के दफ्तर होंगे। इसमें राष्ट्रपति भवन से इंडिया गेट तक 3 किलोमीटर लंबे राजपथ को भी नया रूप दिया जाएगा।
किस कंपनी को मिला नए भवन का ठेका?
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक नई इमारत बनाने का ठेका टाटा प्रोजेक्ट्स लिमिटेड को मिला है। उसने सितंबर 2020 में 861.90 करोड़ रुपए की बोली लगाकर ये ठेका हासिल किया था। इस प्रोजेक्ट की पूरी प्लानिंग गुजरात की एक आर्किटेक्चर फर्म एचसीपी डिजाइंस ने तैयार की है।
पुराने संसद भवन का 'इतिहास'
हालांकि पुराने संसद भवन का अपना इतिहास और महत्व है, लेकिन नए और पुराने में काफी अंतर होगा। जहां पुराना परंपरागत तरीके से तैयार किया गया भवन है, वहीं नया इसके ठीक उलट बेहद आधुनिक होगा।
566 मीटर व्यास वाले संसद भवन का निर्माण 1921 में शुरू हुआ था, जो करीब 6 साल में बनकर तैयार हुआ था। उस वक्त इसके निर्माण में करीब 83 लाख रुपए ख़र्च हुए थे। जो उस दौर के हिसाब से एक मोटी रकम थी।
इस भवन का उद्घाटन 18 जनवरी 1927 को तत्कालीन गवर्नर जनरल लॉर्ड इरविन ने किया था। ब्रिटिश काल के इस संसद भवन का डिज़ाइन एडविन लुटियंस और हर्बर्ट बेकर ने बनाया था। पुराना संसद भवन करीब 93 साल पुराना है। कहा जा रहा है कि नया भवन तैयार होने पर पुराने संसद भवन यानी मौजूदा भवन का इस्तेमाल संसदीय आयोजनों के लिए किया जाएगा।