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लोग चाहते हैं खत्म हो संघर्षविराम, सिखाया जाए पाक को कड़ा सबक

हमें फॉलो करें लोग चाहते हैं खत्म हो संघर्षविराम, सिखाया जाए पाक को कड़ा सबक

सुरेश एस डुग्गर

श्रीनगर , मंगलवार, 18 जुलाई 2017 (14:50 IST)
श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर के राजौरी और पुंछ जिलों में नियंत्रण रेखा पर स्थित सैन्य चौकियों पर पाकिस्तानी सेना ने मंगलवार सुबह फिर से संघर्षविराम का उल्लंघन कर अंधाधुंध फायरिंग की। इसके साथ ही भारत-पाक के बीच 14 सालों से जारी सीजफायर पर अब खतरे के बादल इसलिए मंडराने लगे हैं क्योंकि इंटरनेशनल बार्डर तथा एलओसी पर होने वाली गोलों की बरसात उस करगिल युद्ध की याद दिलाने लगी है,  जिसकी 18वीं वर्षगांठ इस महीने 26 जुलाई को मनाई जाने वाली है।
 
यूं तो सीजफायर के पिछले 14 सालों के दौरान पाक सेना द्वारा इसके उल्लंघन की घटनाएं लगातार होती रही हैं पर अब हालात में परिवर्तन यह आ गया है कि भारत सरकार की ओर से भी भारतीय सेनाओं को जवाबी कार्रवाई की खुली छूट दे रखी है। नतीजा सामने है। अगर पाक गोलों की बरसात इस ओर नागरिक ठिकानों को जबरदस्त क्षति पहुंचा रही है तो उस पार भी ऐसी ही क्षति के दौर से लोगों को गुजरना पड़ रहा है।
 
अगर सेनाधिकारियों की बातों पर विश्वास करें तो पाकिस्तान के साथ अब सीजफायर जारी रखना संभव नहीं है। हालांकि सीमावासी इस सीजफायर को और पक्का करने के पक्ष में हैं पर सीजफायर के बावजूद पाक सेना द्वारा की जाने वाली बार-बार गोलाबारी की घटनाओं से वे भी खफा हैं।
 
ताजा हालत यह है कि सीमांत किसांन खेतों में नहीं जा पा रहे हैं। पहले इंद्र देव की नाराजगी के कारण और अब पाक सेना की गोलीबारी के कारण। जो इलाके फिलहाल पाक गोलीबारी से अछूते हैं वहां प्रवासी श्रमिकों की कमी से सामना होने लगा है। प्रवासी श्रमिक अपनी जान खतरे में डालने को राजी नहीं हैं। इंटरनेशनल बार्डर से लेकर एलओसी के इलाकों तक एक ही बात एक जैसी है। वह यह कि करगिल युद्ध के 18 सालों के बाद और सीजफायर के 18 साल पूरे होने के बाद फिर से सीमावर्ती लोगों को रातें बंकरों में गुजारनी पड़ रही हैं। हालत यह है कि वे अब दिन में भी अपने घरों या बंकरों से बाहर निकलने का खतरा मोल नहीं ले सकते। कब और किस दिशा से पाक सेना द्वारा दागे जाने वाले गोले उन्हें निशाना बना लें कोई नहीं जानता। 
 
सीमांत इलाकों की हालत कैसी है इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि सीजफायर के उल्लंघन में अब बंदूक की गोलियों का स्थान मोर्टार तथा छोटे तोपखानों के गोलों ने ले लिया है। यह गोले सिरों पर मौत के रूप में मंडरा रहे हैं। तो अनफूटे गोले पांवों के नीचे मौत के रूप में फटते जा रहे हैं।
 
ऐसे में सीमावर्ती लोग बार-बार यह मांग करने लगे थे कि सीजफायर को खत्म करके एक बार पाक सेना को अच्छा सबक सिखाया जाए ताकि अगले 20-25 साल वे आराम से जिंदगी काट सकें। जानकारी के लिए सीमा और एलओसी पर होने वाली रहस्यमय गोलीबारी की घटनाओं में 14 सालों के दौरान 140 से अधिक जवान गंवा देने वाली भारतीय सेना भी अब सीजफायर को जारी रखने के पक्ष में नहीं है। पिछले 3 माह के दौरान ही 9 जवान पाक गोलाबारी के कारण शहादत पा चुके हैं।
 
इस बीच बालाकोट सेक्टर के सीमांत क्षेत्रों के आसपास रहने वाले लोगों ने अब सुरक्षित स्थानों पर जाने की तैयारी कर ली है। अगर इसी तरह से गोलाबारी जारी रही तो लोग पलायन कर सुरक्षित स्थानों की तरफ चले जाएंगे।
 
सीमांतवासी मुहम्मद रजाक, अब्दुल हक व मुहम्मद शमशीर ने बताया कि पाक सेना दिन रात जमकर गोलाबारी कर रही है, जिससे क्षेत्र में दहशत का माहौल है। हम लोगों ने अपना सामान बांध रखा है। अगर यही हाल रहा तो हम सुरक्षित स्थानों की तरफ जल्द ही मार्च कर देंगे। प्रशासन और सरकार की ओर से हम लोगों की मदद नहीं की जा रही है। न ही हमारी सुध लेने के लिए कोई यहां पहुंचा है।
 
वे कहते हैं कि जब भी गोलाबारी तेज होती है तो हम दूसरे क्षेत्रों में रह रहे अपने संबंधियों के घरों में पहुंच जाते हैं। गोलाबारी कम होते ही फिर वापस आ जाते हैं, लेकिन अब जिस तरह से गोलाबारी हो रही है उससे यही लगता है कि हमें किसी भी समय पलायन करना होगा और सुरक्षित स्थानों पर जाना ही होगा। कारण, पाक सेना अब रिहायशी क्षेत्रों को निशाना बना रही है। अगर हम लोग अपने घरों में रुकते हैं तो गोले सीधे आकर हमारे घरों पर गिरते हैं तो कई लोग मारे जाएंगे।

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