नई दिल्ली। विपक्ष में रहते हुए भाजपा के नेता सार्वजनिक मंचों से टीवी चैनल की बहस में दावे करते थे कि यूपीए सरकार ने जमाने भर का टैक्स थोप रखा है, अगर यह हटा दिया जाए तो पेट्रोल 40 रुपए के आसपास आ सकता है। इन दावों के साथ दूसरे देशों के उदाहरण भी सामने रखे जाते थे। तब कच्चे तेल की कीमत 110 डॉलर प्रति बैरल के आसपास हुआ करती थी और पेट्रोल 72 रुपए प्रति लीटर के आसपास।
वक्त बदला और सरकार भी बदली। केन्द्र में भाजपा सत्तारूढ़ हो गई। आज कच्चे तेल के भाव 55 डॉलर प्रति बैरल के आसपास हैं और पेट्रोल के भाव 80 रुपए के आसपास हैं। जनता के पास तो कोई विकल्प है ही नहीं। दूसरी ओर तब बड़े बड़े दावे करने वाले भाजपा नेता अब मुंह सिले हुए बैठे हैं। एक जानकारी के मुताबिक पेट्रोल पर करीब 107 प्रतिशत टैक्स वसूला जा रहा है।
अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें लगातार गिर रही हैं। मोदी सरकार के तीन साल के कार्यकाल में यह 53 फीसदी तक गिर चुकी है। मगर पेट्रोल-डीजल के दाम कम होने की बजाए लगातार बढ़ रहे हैं।
जीएसटी लागू होने के बाद से कई राज्यों की कमाई पर बुरा असर पड़ा है। इससे उबरने के लिए उन्होंने पेट्रोल-डीजल पर वेट बढ़ा दिया है। वैसे भी पेट्रोल डीजल को केंद्र और राज्य सरकारों ने अपनी कमाई बढ़ाने का जरिया बना रखा है। इस पर अक्सर कर बढ़ा दिया जाता है।
तीन साल के दौरान डीजल पर एक्साइज ड्यूटी 380 फीसदी तो पेट्रोल पर 120 फीसदी बढ़ाई गई। यही नहीं, हर रोज कीमत तय होने के महज दो माह में ही पेट्रोल 5 रुपए प्रति लीटर महंगा हो गया है।
अप्रैल 2014 में जहां 10 राज्यों ने डीजल पर 20 फीसदी से ज्यादा वैट लगा रखा था, वहीं अब इनकी संख्या बढ़कर 15 हो गई है। इसी दौरान पेट्रोल पर 25 फीसदी से अधिक वैट लगाने वाले राज्यों की संख्या भी 17 से बढ़कर 26 हो गई।