नई दिल्ली। क्या भारत में एक लीटर पेट्रोल के दाम 100 रुपए तक पहुंच जाएंगे? क्या देश की जनता को सरकार इसी तरह लूटकर अपना खजाना भरती रहेगी और 'अच्छे दिन' का चुनावी जुमला लोगों के दिलों में तीर बनकर चुभता रहेगा? महंगाई ने पहले ही घर की रसोई का बजट बिगाड़ रखा है और ऊपर से पेट्रोल की बढ़ती कीमतें देशवासियों को हलकान कर रही हैं।
मुंबई में जब एक लीटर पेट्रोल की कीमत 80 रुपए 25 पैसे पर पहुंची तो लोगों का दिमाग भन्ना रहा है। जनता चाहती है कि पेट्रोल जैसी अत्यावश्यक चीज पर बढ़ती हुई कीमतों पर लगाम लगे। खासकर देश के आम बजट में सरकार गंभीरता से कीमतों को कम कैसे किया जाए, इस पर मंथन करे।
खुद पेट्रोलियम सचिव आरएस शर्मा की कही ये बात चिंता में डालती है कि यदि कच्चे तेल का भाव अमेरिका में 100 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर गया तो भारत में एक लीटर पेट्रोल की कीमत के लिए 100 रुपए चुकाने होंगे। हालांकि उन्होंने पेट्रोल के 100 रुपए लीटर होने के कई अन्य तर्क भी दिए। कच्चे तेल के अलावा यदि युद्ध होता है या दुनिया में भयानक प्राकृतिक आपदा आती तो 100 रुपए का ये भाव संभव है।
शर्मा ने यह भी कहा कि पेट्रोलियम पदार्थ को जीएसटी के दायरे में लाने की बात चल रही है। जीएसटी में लाने का भरोसा केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान भी दिलवा रहे हैं, लेकिन क्या सरकार इसके लिए तैयार है, यह सबसे बड़ा सवाल है। पेट्रोलियम सचिव की मानें तो यदि पेट्रोल जीएसटी के दायरे में आ जाएगा तो देशभर में पेट्रोल के भाव 47 रुपए 47 पैसे हो जाएंगे...
यदि एक लीटर पेट्रोल के लिए सिर्फ 47 रुपए 47 पैसे चुकाने की बात ही उन लोगों के लिए थोड़ी देर के लिए सुकून दे सकती है, जो रोजाना पेट्रोल के भाव को लेकर अपने दिमाग की नसों को फुलाते रहते हैं। सबसे बड़ा प्रश्न तो यह है कि क्या सरकार आम बजट में एक्साइज ड्यूटी को कम करेगी? पिछले तीन सालों में केंद्र सरकार ने पेट्रोल पर ही एक्साइज ड्यूटी 126 प्रतिशत बढ़ा दी है। इसके बाद राज्यों में वैट 47 प्रतिशत है।
ये आंकड़े बहुत चौंकाने वाले हैं कि केंद्र सरकार ने एक्साइज ड्यूटी बढ़ाकर ही जहां 2013-14 में पेट्रोल से अपना खजाना 77 हजार 982 करोड़ से भरा था, वहीं 2016-17 में यह कमाई 2 लाख 42 हजार 691 करोड़ पर पहुंच गई। सनद रहे कि 2014 से 2017 के बीच से मोदी सरकार के कार्यकाल में भारतीय तेल कंपनियों ने अलग-अलग किश्तों में 9 बार पेट्रोल-डीजल के भाव बढ़ाए हैं और सिर्फ एक बार कम किए हैं।
पेट्रोल-डीजल के भाव बढ़ाने के पीछे भारतीय तेल कंपनियों का तर्क अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के भाव बढ़ने का रहता है, लेकिन केंद्र सरकार की एक्साइज ड्यूटी और राज्यों के लगने वाले वैट के कारण ये कीमतें आसमान पर पहुंच जाती हैं। पेट्रोलियम सचिव शर्मा का कहना था कि यदि पेट्रोल-डीजल जीएसटी के दायरे में आ गए तो जनता के साथ ही साथ तेल कंपनियों को भी नुकसान नहीं होगा। फिलहाल इन कंपनियों को 20 से 30 हजार करोड़ का नुकसान हो रहा है।
वैसे इस मामले में लंदन की एक कंपनी का दावा है कि 2019 तक पेट्रोल की कीमतों में बेहताशा वृद्धि होने वाली है। इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि कच्चे तेल का उत्पादन लगातार घटता जा रहा है। इस समस्या का सामना खुद अमेरिका भी कर रहा है। यह भी माना जा रहा है कि आने वाले दिनों या सालों में जब भी कच्चा तेल 127 डॉलर बैरल के पार गया, तब भारत में पेट्रोल की कीमत 100 रुपए लीटर हो जाएगी।
उल्लेखनीय है कि पिछले दिनों ही देश की सबसे बड़ी तेल विपणन कंपनी इंडियन ऑयल ने कहा था कि पेट्रोल की कीमत साढ़े तीन साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच चुकी है और यदि इसी प्रकार यह बढ़ती रही तो जल्द ही इसके भी रिकॉर्ड उच्चतम स्तर पर पहुंचने की आशंका है।
गत बुधवार को ही राजधानी दिल्ली में पेट्रोल 71.39 रुपए प्रति लीटर रहा। यह अगस्त 2014 के बाद का उच्चतम स्तर है, जब अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चा तेल 115 डॉलर प्रति बैरल के करीब था। उस समय दिल्ली में पेट्रोल 72.51 रुपए प्रति लीटर था, जबकि इस समय कच्चा तेल 70 डॉलर प्रति बैरल है। पेट्रोल का अब तक का उच्चतम स्तर सितंबर 2013 में 76.06 रुपए प्रति लीटर रहा था।
दिल्ली में डीजल की कीमत बुधवार को 62.06 रुपए प्रति लीटर रही, जो अब तक का रिकॉर्ड स्तर है। इसने छह जनवरी को पहली बार 60 रुपए प्रति लीटर का स्तर पार किया था और फिलहाल हर दिन दाम बढ़ने के साथ नया रिकॉर्ड बन रहा है। अगस्त 2014 के बाद अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट शुरू हो गई थी। इससे पेट्रोल-डीजल की कीमतें घटनी शुरू हो गई थीं।
इसका फायदा उठाते हुए उस समय सरकार ने यह कहकर इन पर उत्पाद शुल्क बढ़ाया था कि जब अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमतें बढ़ेंगीं तो शुल्क में कमी भी की जा सकती है। मोदी सरकार के कार्यकाल में डीजल पर उत्पाद शुल्क 3.56 रुपए से बढ़ाकर 17.33 रुपए प्रति लीटर कर दिया गया था। पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क मौजूदा सरकार के सत्ता में आने के समय 9.48 रुपए प्रति लीटर था जो बढ़कर 21.48 रुपए प्रति लीटर पर पहुंच चुका था।
पिछले साल पेट्रोल की कीमत 70 रुपए के पार निकलने की खबर मीडिया में आने के बाद बने दबाव में 3 अक्टूबर 2017 को केंद्र सरकार ने पेट्रोल-डीजल के उत्पाद शुल्क में दो-दो रुपए प्रति लीटर की कटौती की थी। इस समय पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क 15.33 रुपए और डीजल पर 19.48 रुपए प्रति लीटर है।
अब जबकि मुंबई में एक लीटर पेट्रोल का दाम 80 रुपए के ऊपर पहुंच गया है तो जाहिर है कि देश के अन्य हिस्सों में भी लोगों में एक डर सताने लगा है कि पता नहीं कब उनके शहर में भी पेट्रोल की कीमतों में आग लग जाए...चूंकि अगले साल देश में आम चुनाव होने वाले हैं लिहाजा मोदी सरकार के लिए आने वाले बजट में पेट्रोल के दामों पर गंभीरता से रोक लगाने के लिए कुछ उपाय करने का वक्त दहलीज पर आ गया है... (वेबदुनिया न्यूज)