बेंगलुरु में पैगंबर मोहम्मद साहब को लेकर सोशल मीडिया पर की गई एक पोस्ट के बाद हिंसा, तोड़-फोड़ और आगजनी में तीन लोगों की मौत हो गई और करीब 60 से अधिक पुलिसकर्मी घायल हो गए। पूरे शहर में धारा 144 भी लगानी पड़ी।
इस मामले में बेंगलुरु पुलिस ने डीजे हल्ली पुलिस थाना क्षेत्र में हिंसा भड़काने के आरोप में सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया यानी एसडीपीआई नेता मुजामिल पाशा को गिरफ्तार किया है। पाशा पर आगजनी और लोगों को दंगा करने के लिए उकसाने का आरोप है। जांच में पता चला है कि यह सुनियोजित हिंसा थी और इसमें PFI का कनेक्शन भी सामने आया है।
आखिर क्या है PFI : इस्लामिक कट्टरपंथी संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) का राजनीतिक संगठन है। सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया यानी कि एसडीपीआई इसका राजनीतिक संगठन है।
हाल ही में चर्चा में आए एसडीपीआई के मूल संगठन पीएफआई पर विभिन्न असामाजिक और राष्ट्रविरोधी गतिविधियों में लिप्त होने का आरोप है। इतना ही नहीं, पीएफआई के खिलाफ आरोप यह भी हैं कि विभिन्न इस्लामी आतंकवादी समूहों के साथ उसके कथित संबंध हैं।
इस संगठन का नाम लगातार हिंसा के मामलों में जुड़ता आया है। उत्तर-पूर्वी दिल्ली में 23 फरवरी से 26 फरवरी के बीच फैले हिंसक दंगों के मामले में दिल्ली पुलिस ने अदालत में जो प्रारंभिक जांच रिपोर्ट पेश की, उसमें भी इस बात का जिक्र था कि दंगे में पीएफआई का भी हाथ था।
CAA के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान जब दिल्ली में दंगे हुए थे तब पीएफआई का ही नाम सामने आया था। इसके अलावा प्रवर्तन निदेशालय ने पीएफआई पर भी मनी लॉन्ड्रिंग का केस भी दर्ज किया था।
दिल्ली दंगे का मुख्य आरोपी ताहिर हुसैन को लेकर पुलिस का कहना था कि उसने कई कंपनियां बनाई हुई थीं। इन कंपनियों के माध्यम से उसने गैरकानूनी तरीके से दंगों के लिए एक करोड़ 12 लाख रुपए जुटाए। इसमें उसका साथ प्रतिबंधित संगठन पीएफआई से भी मिला।
खुफिया रिपोर्ट्स के अनुसार एसडीपीआई पूरे देश में नागरिकता संशोधन अधिनियम के खिलाफ में विरोध प्रदर्शनों में सक्रिय था। उल्लेखनीय है कि केरल के सीएम पिनाराई विजयन ने भी एसडीपीआई पर लोगों के बीच सीएए विरोधी प्रदर्शन का इस्तेमाल कर विभाजन पैदा करने का आरोप लगाया था।