नई दिल्ली। नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) ने पायलटों के अचानक नौकरी छोड़ने से एयरलाइंस के समक्ष आने वाली दिक्कतों का हवाला देते हुये पायलटों के लिए नोटिस पीरियड छह महीने से बढ़ाकर एक साल कर दिया है। साथ ही को-पायलटों को भी छह महीने पहले नोटिस देना होगा।
डीजीसीए ने सिविल एविएशन रिक्वायरमेंट्स (सीएआर) में संशोधन करते हुये कहा है कि महानिदेशालय के संज्ञान में आया है कि पायलट बिना किसी नोटिस के अपनी नौकरी से इस्तीफा दे देते हैं। कुछ मामलों में वे बिना किसी नोटिस के सामूहिक रूप से भी इस्तीफा दे देते हैं, जिससे एयरलाइंस अंतिम समय में उड़ानें रद्द करने पर मजबूर होती हैं। इससे यात्रियों को समस्या होती है इसलिए यह जनहित के खिलाफ है।
प्रारूप में कहा गया है कि यदि पायलट बिना नोटिस के इस्तीफा देते हैं तो सरकार के पास उनका लाइसेंस या रेटिंग स्थायी या अस्थायी तौर पर रद्द करने का अधिकार भी है।
डीजीसीए ने आज जारी संशोधन में कहा है कि एक पायलट को किसी विमान विशेष के लिए प्रशिक्षित करने में आठ से नौ महीने का समय लगता है क्योंकि इस दौरान उसे तकनीकी तथा प्रदर्शन संबंधी परीक्षाएँ पास करनी होती हैं, सिम्युलेटर टेस्ट तथा फ्लाइंग ट्रेनिंग से गुजरना होता है और स्किल टेस्ट देना होता है। इसके बाद ही उसे लाइसेंस जारी किया जा सकता है।
डीजीसीए के अनुसार, 'सरकार ने यह तय किया है कि कमांडर पायलटों द्वारा कम से कम एक साल तथा को-पायलटों द्वारा छह महीने के नोटिस के बिना इस्तीफे या उनके किसी अन्य कदम से यदि अंतिम समय में उड़ानें रद्द होती हैं और यात्रियों को परेशानी होती है तो इसे जनहित के खिलाफ उठाया गया कदम माना जाएगा।'
नए नियमों के अनुसार, नोटिस पीरियड के दौरान पायलट ड्यूटी से मना नहीं कर सकता। लेकिन, इस दौरान यदि उसका वेतन या भत्ते कम किए जाते हैं या उसकी नौकरी की शर्तें उसके विरुद्ध बदली जाती हैं तो उसे नोटिस पीरियड पूरा होने से पहले ही नौकरी छोड़ने का अधिकार होगा। (वार्ता)