नई दिल्ली। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने बुधवार को कहा कि विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के सभी समझौतों में विशेष तथा अलग व्यवहार का प्रावधान विकासशील देशों का अधिकार है और यह बातचीत से परे है। उन्होंने कहा कि यह व्यवस्था बनी रहनी चाहिए। गोयल ने कहा, विकासशील और विकसित देशों के बीच विषमता अभी कम नहीं हुई है।
गोयल ने कहा कि विकासशील और विकसित देशों के बीच विषमता अभी कम नहीं हुई है, बल्कि सचाई यह है कि कुछ मामलों में अंतर बढ़ा है। इसको देखते हुए विशेष और अलग व्यवहार की व्यवस्था प्रासंगिक बनी हुई है।
गोयल ने डब्ल्यूटीओ सुधार पर एक सत्र को संबोधित करते हुए कहा, विशेष और अलग व्यवहार (एस एंड डीटी) समझौतों से जुड़ा है। यह बातचीत से परे है और सभी विकासशील देशों का अधिकार है।
विश्व व्यापार संगठन में प्रस्तावित सुधारों के तहत विकसित देश कह रहे हैं कि विकासशील देश विश्व व्यापार संगठन में स्व-घोषित विकास की स्थिति के नाम पर नियमों की अनदेखी कर रहे हैं। दूसरी तरफ, भारत समेत विकासशील देश विशेष और अलग व्यवहार बरकरार रखने की मांग कर रहे हैं।
एस एंड डीटी व्यवस्था के तहत विकासशील और गरीब देशों (कम विकसित) को कुछ लाभ मिलते हैं। इसमें समझौतों और बाध्यकारी प्रतिबद्धताओं को लागू करने के लिए लंबा समय मिलता है। साथ ही उनके लिए व्यापार के अवसर बढ़ाने के लिए उपाय होते हैं। फिलहाल डब्ल्यूटीओ सदस्य स्वयं को विकासशील देश मनोनीत कर सकते हैं और ये लाभ ले सकते हैं।
कुछ विकसित देशों का कहना है कि स्व-घोषणा की व्यवस्था बातचीत के विफल होने का एक कारण है और यह संस्था को अप्रासंगिक भी बनाने का रास्ता है। गोयल ने विश्व व्यापार संगठन के विवाद निपटान व्यवस्था के अपीलीय निकाय के सुचारू कामकाज को फिर से शुरू करने पर भी जोर दिया।
अपीलीय निकाय सात लोगों की स्थाई समिति है। यह डब्ल्यूटीओ सदस्यों की शिकायतों के मामले में समितियों की तरफ से जारी रिपोर्ट पर अपील की सुनवाई करती है। फिलहाल अपीलीय निकाय में पद खाली पड़े हैं। इसीलिए आवेदनों पर विचार नहीं किया जा रहा है।
अपीलीय निकाय के अंतिम सदस्य का कार्यकाल 30 नवंबर, 2020 को समाप्त हुआ। विकसित देशों ने इस निकाय के कामकाज के मुद्दों को भी उठाया है और इसमें सुधार की मांग कर रहे हैं।(भाषा)