प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज यानी शुक्रवार को नेशनल कैडेट कोर के कार्यक्रम में शामिल हुए। इस दौरान उनका लुक चर्चा का हिस्सा बन गया। सिख लुक वाली गहरे रंग की पगड़ी पहने पीएम मोदी एक बार फिर आकर्षण का केंद्र बन गए। हालांकि यह पहली बार नहीं है जब पीएम मोदी अपने लुक को लेकर सुर्खियों में रहे हो। फैशन के मामले में युवाओं से पीएम मोदी बहुत आगे हैं।
पीएम मोदी का निराला अंदाज और उनके कपड़ों ने अलग ही छाप छोड़ी है। गणतंत्र दिवस हो या स्वतंत्रता दिवस, विदेशी यात्रा पर हो या विदेशी मेहमान का आगमन, किसी विशेष समाज को संबोधित करना हो या अपनी बात रखनी हो वे उन्हीं की वेशभूषा में उन्हें संबोधित करते हैं।
आइए जानते हैं चर्चा में आई सिख पगड़ी के इतिहास के बारे में विस्तार से -
पगड़ी का इतिहास -
सिखों की प्रमुख पहचान रही पगड़ी ने कई दंश झेले हैं। वर्तमान में देश और दुनिया के कई हिस्सों में सिखों की खासी आबादी इस पगड़ी की वजह से अलग पहचान रखती है। भारत, मध्य पूर्व , यूरोप और अफ्रीका के कई हिस्सों में धूप, बारिश और ठंडी हवाओं से बचने के लिए पग पहनने का सिलसिला शुरू हुआ था। हालांकि उन दिनों आस्थावानों को पग पहनने की इजाज़त थी तो कुछ इलाकों में अलग संस्कृति के चलते नास्तिकों को अलग रंग की पग पहनने की अनुमति थी।
भारत में पग का प्रचलन
16वीं सदी में मुगल साम्राज्य से पहले भारत में, सामान्य तौर पर केवल शाही परिवारों या उच्च अधिकारियों को ही पगड़ी पहनने की इजाज़त थी। सामाजिक प्रतिष्ठा और उच्च वर्ग का प्रतीक था।
और सिख समुदायों ने पहनना शुरू किया पगड़ी
औरंगजेब ने गैर मुस्लिमों और सिखों की आबादी को पहचानने के लिए पगड़ी की शुरुआत की।औरंगजेब ने जब सिखों के गुरु तेग बहादुर को मौत के घाट उतारा, तब उनके बेटे गोविंद ने खालसा पंथ की स्थापना की और सिखों के लिए पग पहनना अनिवार्य कर दिया। सिख द्वारा पग पहनना शासन के विरोध में था और सिख समाज के लिए आजादी और समानता का प्रतीक बनी।