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मन की बात में कश्मीर पर क्या बोले पीएम मोदी...

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नई दिल्ली , रविवार, 28 अगस्त 2016 (11:49 IST)
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को कहा कि कश्मीर में हुई कोई भी मौत चाहे वह किसी युवक की हो या फिर किसी सुरक्षाकर्मी की, देश का नुकसान है। हिंसा के लिए मासूम लोगों को आगे करने वालों को एक दिन इसका जवाब देना पड़ेगा।
आकाशवाणी पर 'मन की बात' कार्यक्रम के जरिए मोदी ने कश्मीर में हिंसा, रियो ओलंपिक खेलों में भारत के प्रदर्शन, गणेशोत्सव, जीएसटी, गैस सब्सिडी, पर्यावरण, स्वच्छता अभियान और पड़ोसी देशों से सबंध के मुद्दे पर खुलकर अपने विचार रखे।
 
मोदी ने इस मौके पर कश्मीर में मासूम लोगों को हिंसा के लिए भड़काने वाले तत्वों को आगाह करते हुए कहा कि अपनी इस नापाक हरकत का जवाब उन्हें एक दिन देना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि कश्मीर में अगर कोई भी जान जाती है, चाहे वह किसी नौजवान की हो या किसी सुरक्षाकर्मी की हो, ये नुकसान हमारा ही है, अपनों का ही है, अपने देश का ही है।
 
उन्होंने कहा कि जो लोग छोटे-छोटे मासूम निर्दोष बच्चों को आगे करके कश्मीर में अशांति पैदा करने का प्रयास कर रहे हैं, कभी-न-कभी उन्हें इन निर्दोष लोगों को जवाब देना पड़ेगा।
 
प्रधानमंत्री ने कहा कि कश्मीर के संबंध में उनकी जितने भी राजनीतिक दलों से चर्चा हुई, उन सभी का, देश के सवा-सौ करोड़ देशवासियों का, गांव के प्रधान से लेकर प्रधानमंत्री तक का यही मत है कि कश्मीर में अगर कोई भी जान जाती है तो वह देश का नुकसान है।
 
उन्होंने कहा कि भारत हमेशा से ही अपने पड़ोसी देशों से सहज, गहरे, शांतिपूर्ण और मित्रवत सबंधों का हिमायती रहा है। इस मसले पर देश के सभी राजनीतिक दलों के विचार समान हैं। उनमें एकजुटता है और यही वजह है कि कश्मीर के मौजूदा हालात के बारे में सभी राजनीतिक दलों ने अपनी बात कहते समय एकजुटता बनाए रखी और इसके जरिए दुनिया को भी संदेश दिया, अलगाववादी तत्वों को भी संदेश दिया और कश्मीर के नागरिकों के प्रति संवेदनाओं को भी व्यक्त किया।
 
मोदी ने देश की विविधता में एकता को सबसे बड़ी ताकत बताते हुए कहा कि उन्हें देश की सवा सौ करोड़ जनता की शक्ति पर भरोसा है और यह ताकत तथा पूरी निष्ठा और समर्पण के साथ आगे बढ़ने का संकल्प सारी बाधाओं को पार करते हुए देश को विकास के पथ पर आगे ले जाएगा।
 
प्रधानमंत्री ने संसद के मानसून सत्र में वस्तु एवं सेवाकर विधेयक पारित होने को देश में राजनीतिक एकजुटता की बड़ी मिसाल बताया और कहा कि एकजुटता बड़ी ताकत है जिससे दुष्कर लक्ष्य भी हासिल हो सकते हैं। 
 
उन्होंने अपने संबोधन में हाल में संपन्न रियो ओलंपिक खेलों में भारतीय महिला खिलाडि़यों की उपलब्धियों की खुलकर सराहना की और कहा कि भले ही इस बार भारत का प्रदर्शन रियो में आशा के अनुरूप नहीं रहा लेकिन पीवी सिंधु और साक्षी मलिक जैसी देश की बेटियों ने पदक जीतकर देश का मान बढ़ाया।
 
उन्होंने इस अवसर पर जिमनास्ट दीपा करमाकर और कई अन्य भारतीय खिलाड़ियों के बेहतर प्रदर्शन का भी जिक्र किया और कहा कि सरकार ने खेलों के बारे में एक समिति गठित करने की घोषणा की है, जो कमियों और भविष्य की रणनीति की रूपरेखा तय करेगी। 
 
उन्होंने इस अवसर पर हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद को 29 अगस्त को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उन्हें खेल भावना और देशभक्ति की अनूठी मिसाल बताया।
 
पूर्व राष्ट्रपति एवं महान शिक्षाविद सर्वपल्ली डॉ. राधाकृष्णन की जयंती 5 सितंबर (शिक्षक दिवस) के मौके पर उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए उन्होंने कहा कि व्यक्ति और समाज के निर्माण में शिक्षक का महत्व मां से कम नहीं है। 
 
उन्होंने सिंधु जैसी खिलाड़ी तैयार करने में पुलेला गोपीचंद की भूमिका को एक सिद्ध शिक्षक की योग्यता बताई और कहा कि इस बार शिक्षक दिवस पर वे जी-20 सम्मेलन में रहेंगे इसलिए विद्यार्थियों से रूबरू नहीं हो पाएंगे। 
 
'मन की बात' में उन्होंने गणेशोत्सव का विशेष उल्लेख करते हुए उत्सवों को समाज में एक नई जान फूंकने का माध्यम बताया। उन्होंने कहा कि ये सामाजिक चेतना का जरिया होते हैं। बाल गंगाधर तिलक ने इसे स्वराज आंदोलन के रूप में शुरू किया था। 
 
उन्होंने उत्सवों को बदलते समय के अनुरूप पर्यावरण के अनुकूल ढालने की अपील करते हुए कहा कि भगवान की प्रतिमाएं प्लास्टर ऑफ पेरिस की बजाय मिट्टी से बनाई जानी चाहिए ताकि विसर्जन के समय नदियां, नहरें और पोखर इससे प्रदूषित न हो पाएं। (वार्ता) 


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