Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

मां को मुखाग्‍नि देने के ठीक बाद बेटा काम पर लौट गया

हमें फॉलो करें modi heera ba
webdunia

नवीन रांगियाल

मां की मृत्‍यु हो जाए और बेटा मुखाग्‍नि देने के ठीक एक घंटे बाद काम पर लौट जाए ऐसा आमतौर पर नहीं होता। अगर ऐसा देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ही जिंदगी में घटित होता नजर आए तो हैरानी होना चाहिए। ऐसे मोमेंट में शायद हम एक ऐसे भाव से घिर जाएंगे कि कोई प्रतिक्रिया देना मुश्‍किल होगा।

30 दिसंबर 2022 की सुबह यही हुआ। निधन के बाद पीएम मोदी ने करीब 9 बजकर 40 मिनट पर अपनी मां हीरा बा को मुखाग्‍नि दी। इसके ठीक एक घंटे बाद वे काम पर लौट गए। शुक्रवार को पीएम मोदी पश्‍चिम बंगाल जाने वाले थे, लेकिन अहमदाबाद से ही वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए ही सारे काम किए।

पीएम मोदी ने अपना कोई तय कार्यक्रम रद्द नहीं किया। वे अंतिम संस्कार के बाद सीधे अहमदाबाद के राजभवन पहुंचे। अहमदाबाद से ही बंगाल में हो रही राष्ट्रीय गंगा परिषद की बैठक में वर्चुअली जुड़ें। उन्होंने हावड़ा को न्यू जलपाईगुड़ी से जोड़ने वाली वंदे भारत की शुरुआत की।

दरअसल, अपने परिवार में किसी का निधन न सिर्फ एक निजी क्षति है, बल्‍कि यह एक बेहद ही नाजुक और भावुक पल होता है। ऐसे में उन्‍हें आत्‍मीय और मानसिक संबल की जरूरत होती है। लेकिन ठीक ऐसे क्षण में कोई काम पर लौट जाए यह बेहद व्‍यथित करने वाली बात है।

यहां तक कि पश्‍चिम बंगाल के कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने अपनी मां के निधन को अपनी निजी क्षति बताया। उन्‍होंने कहा कि मैं एक निजी क्षति की वजह से बंगाल नहीं आ सका

उन्‍होंने यह कहकर भी सहानुभूति नहीं ली कि उनकी मां का निधन हो गया है और वे इस वजह से बहुत दुखी या व्‍यथित हैं।

पीएम मोदी के इस फैसले से हर कोई व्‍यथित नजर आया, लेकिन मोदी अपने काम में रूटीन दिनों की तरह लगे रहे। हालांकि उनके चेहरे पर एक विषाद साफ नजर आ रहा था।

शायद यह सब देखकर ही पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मोदी की मां के निधन पर दुख जताया। उन्होंने कहा यह दिन आपके लिए तकलीफ भरा है, आपकी मां, हमारी भी मां हैं। ईश्वर आपको शक्ति दें कि आप अपना काम जारी रख सकें। मेरा अनुरोध है कि आप कुछ समय आराम भी करें

इस पूरे घटनाक्रम को गौर से देखने पर महसूस होता है कि इसे लेकर पीएम मोदी ने एक अदृश्‍य संदेश देने की कोशिश की। पीएम मोदी की मां हीरा बा की अहमदाबाद में निकली अंतिम यात्रा भी बेहद सामान्‍य और बगैर किसी व्‍यवस्‍था के गुजरी। मोदी खुद मां को कांधा देते नजर आए। इसके पहले जब हीरा बा अस्‍पताल में थी और बाद में घर लाई गई तब भी न ही कोई छोटा और न ही कोई बड़ा नेता उनसे मिलने या देखने नहीं पहुंचा। अंदाजा लगाया जा सकता है कि किस स्‍तर पर इस निजता को मैंटेन किया गया। वरना, प्रधानमंत्री की मां का निधन हो जाए और बगैर किसी प्रबंध, तामझाम और लवाजमे इतने लो प्रोफाइल तरीके से उनका अंतिम संस्‍कार हो जाए यह कैसे संभव हो सकता है।

हो सकता है, पीएम मोदी बाहर से जितना सख्‍त नजर आ रहे थे, वे भीतर से अपनी मां के निधन से उतना ही टूटा हुआ महसूस कर रहे हों। लेकिन एक प्रधानमंत्री के तौर पर जिस तरह से उन्‍होंने अपनी निजता और अपनी जिम्‍मेदारी को दो अलग-अलग स्‍तरों पर रखा, वो शायद कोई दूसरा नहीं कर सकता है।

अंत में एक ही ख्‍याल जेहन में आता है...
मां को मुखाग्‍नि देने के ठीक बाद बेटा काम पर लौट गया
समझ नहीं आ रहा, मां खुशनसीब थी या बेटा सौभाग्‍यशाली

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

साल के अंतिम दिन बाजार में रही गिरावट, वर्ष के दौरान सेंसेक्स 4.44 प्रतिशत चढ़ा