PM Modi in Jaipur : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने विपक्षी दलों के नए गठबंधन को लेकर उस पर निशाना साधा और इसे मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस और उसके सहयोगियों का नया पैंतरा करार दिया। प्रधानमंत्री ने कहा कि UPA के कुकर्मों पर परदा डालने के लिए कांग्रेस और उसके साथियों ने अपना नाम I.N.D.I.A कर दिया है। जनता इनका एक बार फिर से वही हाल करेगी जो पहले किया था।
प्रधानमंत्री ने सीकर में एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि नए गठबंधन को इंडिया नाम दिया गया है। ये लोग आज जब आईएनडीआईए की बात करते हैं तो दिखावा लगता है, झूठ लगता है। कांग्रेस आज की तारीख में देश की सबसे बड़ी दिशाहीन पार्टी बनकर रह गई है।
उन्होंने कहा कि इन दिनों कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों ने एक नया पैंतरा चला है, ये पैंतरा है- नाम बदलने का। पहले के जमाने में कोई कंपनी बदनाम हो जाती थी तो तुरंत कंपनी वाले नया बोर्ड लगाकर लोगों को भ्रमित करने का काम करते थे। नाम बदलकर लोगों को मूर्ख बनाकर अपना धंधा पानी चलाने की कोशिश करते थे। कांग्रेस व उसके साथियों की जमात ऐसी फ्रॉड कंपनियों की नकल कर रही है।
मोदी ने कहा कि यूपीए का नाम बदला है ताकि ये आतंकवाद के सामने घुटने टेकने का अपना पाप छिपा सकें। इन्होंने नाम बदला है ताकि ये कर्जमाफी के नाम पर किसानों से अपने विश्वासघात को छुपा सकें। यूपीए नाम बदला है ताकि ये गरीबों के साथ किए गए छल कपट को छिपा सकें।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि इनका तरीका वही है जो हमेशा देश के दुश्मनों ने अपनाया है। पहले भी इंडिया के नाम के पीछे अपने पाप को छुपाने का प्रयास किया गया है। इंडिया नाम तो ईस्ट इंडिया कंपनी में भी था। लेकिन वहां इंडिया नाम अपनी भारत भक्ति दिखाने के लिए नहीं बल्कि भारत को लूटने के इरादे से लगाया गया था।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस के शासनकाल में सिमी यानी स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट आफ इंडिया बना था। नाम में इंडिया था लेकिन उसका मिशन, इंडिया को आतंकी हमलों से बर्बाद करने का था। जब इसके कुकर्म सामने आए तो सिमी पर प्रतिबंध लगाया गया और जब यह प्रतिबंध लगा तो फिर नया नाम लेकर आए। उन्होंने भी नाम बदला..पीएफआई। सिमी बन गया पीएफआई यानी पॉपुलर फ्रंट आफ इंडिया... नए नाम में फिर इंडिया लेकिन काम वहीं पुराना।
मोदी ने कहा कि अगर इन्हें इंडिया की परवाह होती तो क्या ये विदेश में जाकर विदेशियों से भारत में दखल देने की बात करते? अगर इन्हें इंडिया की परवाह होती तो क्या ये सर्जिकल स्ट्राइक और एयर स्ट्राइक पर सवाल उठाते? अगर इन्हें इंडिया की चिंता होती तो क्या गलवान में भारतीय सेना के शौर्य को कटघरे में रखते? ये वही चेहरे हैं, जो आतंकी हमला होने पर दुनिया के आगे रोते थे, कुछ नहीं करते थे। इन्हें देश के सुरक्षा बलों के सामर्थ्य पर भरोसा नहीं है, इन्होंने सैनिकों का हक मारा है। (एजेंसियां)
Edited by : Nrapendra Gupta