नई दिल्ली। संसद के मानसून सत्र के पहले दिन विपक्षी सदस्यों के हंगामे से नाराज प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने विपक्ष की मानसिकता पर सवाल उठा दिया। दूसरी ओर, राज्यसभा में सभापति वेंकैया नायडू ने भी विपक्षी सांसदों के व्यवहार पर नाराजगी जाहिर की।
लोकसभा की बैठक शुरू होने पर नवनिर्वाचित सदस्यों ने शपथ ली। इसके बाद जब प्रधानमंत्री मोदी मंत्रिपरिषद के नए मंत्रियों का परिचय कराने के लिए उठे तो विपक्षी कांग्रेस के सदस्यों ने नारेबाजी शुरू कर दी। हंगामे के बीच प्रधानमंत्री ने नए मंत्रियों के परिचय का विवरण सदन के पटल पर रखा।
मोदी ने नाराजगी भरे लहजे में कहा कि हम ऐसा सदन में पहली बार देख रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह ऐसा अवसर है जब किसानों के बच्चों को सदन में प्रस्तुत किया जा रहा है, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और महिला मंत्रियों का परिचय कराया जा रहा है, लेकिन कुछ लोग इसका विरोध कर रहे हैं। यह कैसी मानसिकता है?
हंगामा दुर्भाग्यपूर्ण : रक्षामंत्री ने राजनाथ सिंह ने भी हंगामे को दुर्भाग्यपूर्ण करार देते हुए कहा कि उन्होंने संसद में ऐसा दृश्य अपने 24 वर्ष के संसदीय जीवनकाल में कभी नहीं नहीं देखा। सिंह ने कहा कि संसद की सबसे बड़ी शक्ति स्वस्थ परंपराएं होती हैं। संसद की ये स्वस्थ परंपराएं संविधान एवं संसद नियमों पर आधारित होती हैं। इन परंपराओं को बनाए रखना सत्ता पक्ष, विपक्ष सभी की जिम्मेदारी है।
उल्लेखनीय है कि मंत्रिमंडल विस्तार के बाद नए मंत्रियों की शपथ होती है। उसके बाद प्रधानमंत्री मंत्रिपरिषद के सदस्यों का परिचय कराते हैं। पीएम मोदी उसी परंपरा का निर्वाह कर रहे थे, लेकिन कांग्रेस ने हंगामा किया। ये बहुत निंदनीय है।