नई दिल्ली। बैंकों में धोखाधड़ी के मामलों से परेशान भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने सरकारी बैंकों के विशेष ऑडिट की प्रक्रिया शुरू की है। इस ऑडिट में मुख्य ध्यान व्यापारिक गतिविधियों के वित्तपोषण और बैंकों द्वारा जारी किए जाने वाले गारंटी पत्रों (एलओयू) पर दिया जाएगा।
सूत्रों ने बताया कि आरबीआई ने सभी बैंकों से उनके द्वारा जारी किए गए एलओयू की जानकारी मांगी है। इसमें बकाया राशि की जानकारी भी मांगी गई है। आरबीआई यह भी देखेगा कि बैंकों के पास ऋण सीमा की पहले से अनुमति थी या नहीं और गारंटी पत्र जारी करने से पहले उनके पास पर्याप्त नकद मार्जिन उपलब्ध था या नहीं?
सूत्रों ने कहा कि हाल में उजागर पंजाब नेशनल बैंक-नीरव मोदी धोखाधड़ी मामले समेत अधिकतर बड़े बैंकिंग धोखाधड़ी मामले व्यापार वित्तपोषण से जुड़े हैं। इसके अलावा जान-बूझकर ऋण नहीं चुकाने के भी कई मामले व्यापार वित्त पोषण से जुड़े रहे हैं। हाल में पीएनबी के साथ किए गए 12,646 करोड़ रुपए के धोखाधड़ी मामले में भी एलओयू का इस्तेमाल किया गया। इसे ध्यान में रखते हुए आरबीआई इस ऑडिट में इनसे जुड़े मामलों की भी जांच करेगा।
उल्लेखनीय है कि नीरव मोदी का मामला सामने आने के तुरंत बाद सीबीआई ने दिल्ली के हीरा निर्यातक द्वारकादास सेठ इंटरनेशनल के खिलाफ भी ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स में 389.85 करोड़ रुपए की कथित धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया था।
द्वारकादास सेठ इंटरनेशनल ने 2007-12 के बीच ओबीसी से विभिन्न प्रकार की ऋण सुविधाएं ली थीं। इसी प्रकार 2015 के बैंक ऑफ बड़ौदा धोखाधड़ी मामले में भी दिल्ली के 2 व्यवसायियों ने बैंकों को व्यापार वित्तपोषण प्रणाली का इस्तेमाल करते हुए 6,000 करोड़ रुपए का चूना लगाया था। (भाषा)