नई दिल्ली। ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित हिंदी के प्रख्यात कवि कुंवर नारायण का बुधवार को यहां लंबी बीमारी के कारण निधन हो गया। वे 90 वर्ष के थे।
नारायण करीब एक महीने से एक निजी अस्पताल में भर्ती थे और अचेतावस्था में थे। साहित्य अकादमी, भारतीय ज्ञानपीठ, जनवादी लेखक संघ समेत कई संगठनों और लेखकों ने उनके निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है।
नौ सितंबर 1927 को उत्तरप्रदेश के फैजाबाद में जन्मे नारायण को पद्मभूषण सम्मान से विभूषित किया गया था। उन्हें 'कोई दूसरा नहीं' काव्यसंग्रह पर साहित्य अकादमी पुरस्कार तथा व्यास सम्मान भी मिला था। उनके परिवार में पत्नी के अलावा एक पुत्र भी है।
कुंवर नारायण ने अपनी इंटर तक की शिक्षा विज्ञान विषय से पूर्ण की, किंतु साहित्य में रुचि होने के कारण वे साहित्य के विद्यार्थी बन गये थे। उन्होंने 'लखनऊ विश्वविद्यालय' से 1951 में अंग्रेज़ी साहित्य में एमए किया। 1973 से 1979 तक वे संगीत नाटक अकादमी के उप-पीठाध्यक्ष भी रहे। 1975 से 1978 तक अज्ञेय द्वारा सम्पादित मासिक पत्रिका में संपादक मंडल के सदस्य के रूप में भी कार्य किया।
उनकी काव्ययात्रा 'चक्रव्यूह' से शुरू हुई थी। इसके साथ ही उन्होंने हिन्दी के काव्य पाठकों में एक नई तरह की समझ पैदा की। यद्यपि कुंवर नारायण की मूल विधा कविता ही रही है, किंतु इसके अलावा उन्होंने कहानी, लेख व समीक्षाओं के साथ-साथ सिनेमा, रंगमंच एवं अन्य कलाओं पर भी बखूबी अपनी लेखनी चलाई। (वेबदुनिया/एजेंसी)