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2 दिन, पुलिस के दो चेहरे, क्या कहते हैं आप...

हमें फॉलो करें 2 दिन, पुलिस के दो चेहरे, क्या कहते हैं आप...
, शुक्रवार, 3 जून 2016 (13:05 IST)
पिछले दो दिनों में भारत में नागरिक सुरक्षा का पहला दायित्व संभालने वाली पुलिस फोर्स के बारे में दो खबरे प्रमुखता से मीडिया, सोशल मीडिया पर छाई रहीं।

पहली खबर में दिखा पुलिस ने एक हिस्ट्री शीटर बदमाश को थाना प्रभारी से मारपीट और सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के आरोप में अपराधी का सिर मूडंवा कर पुलिस जीप के बोनट पर बांध के डंडे मारते हुए शहर में उसका जूलूस निकाला। उज्जैन जिले के महीदपुर पुलिस थाने की पुलिस का यह कारनामा मीडिया में आग की तरह फैला और इसकी प्रतिक्रिया स्वरूप 5 पुलिसकर्मी निलंबित किए गए। 
 
पुलिस का दूसरा और बेबस चेहरा शाम को फिर सामने आया जब मथुरा में अतिक्रमण हटाने गए सिटी एसपी और थाना इंजार्ज के सिर में गोलियां मारी गई और जबरदस्त मुठभेड़ के बाद दो पुलिसकर्मियों की शहादत, 23 पुलिस वालों के घायल होने की कीमत चुकाने के बाद जवाहर बाग इलाका भीड़ से खाली करवाने में सफलता मिली। यहां यह बताना जरूरी है कि सरकारी बाग में कब्जा जमाए बैठे 'सत्याग्रहियों' ने पुलिस दल पर गोलियों, बमों से हमला किया। फायरिंग में एडि‍शनल एसपी सिटी मुकुल द्विवेदी, सिटी मजिस्ट्रेट रामअरज यादव, एसओ प्रदीप कुमार और एसओ संतोष कुमार यादव को गोली लग गई।
लोकतांत्रिक भारत में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का ढोल पीटने वाले इन सत्याग्रहियों ने पेशेवर अपराधियों जैसे एसपी और थाना प्रभारी के सिर में गोलियां मारी। मौके से 50 से अधिक पिस्तौल, राइफल सहित सैकड़ों कारतूस, बम जैसा असलहा बरामद हुआ। 
 
अब मुद्दा यह है कि एक तरफ अपने थाना प्रभारी पर हमला करने वाले हिस्ट्री शीटर बदमाश को सबक सिखाने और अपराधियों के मन में पुलिस का भय बिठाने के लिए गुंडों का जूलूस निकालने पर पुलिसकर्मी सस्पेंड हो जाते हैं। बदमाशों के हौसले इतने बुलंद हो चुके हैं कि अब वे पुलिस पर हमला करने से भी नहीं चूक रहे हैं। 
 
कई पुलिसकर्मियों का कहना है कि यदि कोई कड़ी कार्यवाई करो तो मानवाधिकार और बड़े अफसर तुरंत निलंबित कर देते हैं, नहीं करों तो यही गुंडे बेखौफ हो कर जनता पर जुल्म ढाते हैं, हमारी स्थिति तो सांप-छछूंदर जैसी है। 
 
सही भी तो है मथुरा जैसे हालात तो यही बताते हैं कि कभी राजनैतिक पार्टी के तो कभी किसी धार्मिक दल के तो कभी किसी संप्रदाय की भीड़ मौका लगने पर कानून के रखवालों की हत्या करने से भी नहीं पीछे हटती... आप ही फैसला करें कि इस देश में कानून का सख्ती से पालन कराने की कितनी बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी..   

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