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राष्‍ट्रपति चुनाव : टूट नहीं पाएगा राजेंद्र बाबू का रिकॉर्ड

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नई दिल्ली , रविवार, 25 जून 2017 (12:06 IST)
नई दिल्ली। उम्मीदवारों का नाम घोषित होने के साथ ही सत्ता पक्ष और विपक्ष राष्ट्रपति चुनाव के लिए अपने अपने उम्मीदवारों के पक्ष में ज्यादा से ज्यादा समर्थन जुटाने के प्रयासों जुट गए हैं लेकिन उनमें से किसी के भी देश के पहले राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद के सर्वाधिक 99 प्रतिशत मत हासिल करने के रिकॉर्ड को तोड़ पाने की उम्मीद नहीं है।
 
डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने 1957 में हुए चुनाव में 99 प्रतिशत से अधिक मत हासिल किए थे। राष्ट्रपति के लिए अब तक हुए 14 चुनावों में कोई उम्मीदवार इस रिकार्ड को नहीं तोड़ पाया है। सत्ता पक्ष और विपक्ष के ज्यादातर दलों की सहमति से 2002 में चुनाव मैदान में उतरे मिसाइल मैन एपीजे अब्दुल कलाम करीब 90 प्रतिशत ही वोट हासिल कर पाए थे। अब तक सिर्फ एक बार निर्विरोध चुनाव हुआ है। वर्ष 1977 में नीलम संजीव रेड्डी निर्विरोध निर्वाचित हुए थे।
 
राजेंद्र प्रसाद के बाद दूसरा नंबर राष्ट्रपति सर्वपल्ली राधाकृष्ण हैं जिन्होंने 1962 के चुनाव में 98 प्रतिशत से अधिक मत हासिल किए थे। इसके बाद के आर नारायणन का नंबर आता है जिन्हें 1997 में हुए चुनाव में 95 प्रतिशत मत मिले थे। नारायणन सर्वोच्च संवैधानिक पद पर पहुंचने वाले दलित समुदाय के पहले नेता थे।
 
अगले माह होने वाले राष्ट्रपति चुनाव के लिए सत्तारुढ़ गठबंधन ने रामनाथ कोविंद को तथा विपक्ष ने मीरा कुमार को उम्मीदवार बनाया है। दोनों ही दलित समुदाय के हैं। इसलिए इस समुदाय के नेता का एक बार फिर देश का राष्ट्रपति बनना तय है।
 
अब तक के राष्ट्रपति चुनावों में उम्मीदवारों को मिले मतों की बात की जाए तो 1957 में डॉ. राजेंद्र प्रसाद को कुल पड़े  464370 मतों में से 459698 मत मिले थे। उनके खिलाफ दो उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ा था। उनमें से एक को 2672 तथा दूसरे को 2000 मत मिल पाये थे।
 
डॉ. राजेंद्र प्रसाद एक मात्र ऐसे नेता हैं जो लगातार दो बार राष्ट्रपति चुने गए लेकिन 1952 में हुए पहले चुनाव में उन्हें करीब 84 प्रतिशत मत ही मिल पाये थे। इस चुनाव में कुल पांच उम्मीदवार चुनाव मैदान में थे तथा कुल 605386 मत पड़े थे। डॉ. राजेंद्र प्रसाद को 507400 मत मिले। उनके निकटतम उम्मीदवार के टी शाह को 92827 मत मिले थे।
 
1962 का चुनाव भी एकतरफा रहा। तीन उम्मीदवारों ने यह चुनाव लड़ा तथा 562945 वोट पड़े। डॉ राधाकृष्णन को 553067 मत मिले थे। इसके बाद 1967 में हुए चुनाव में जाकिर हुसैन ने जीत हासिल की थी लेकिन उन्हें करीब 56 प्रतिशत ही मत मिले थे। इस चुनाव में 17 उम्मीदवार मैदान में थे तथा 838048 वोट पड़े थे। डॉ जाकिर हुसैन 471244 मत हासिल किए थे जबकि विपक्ष के उम्मीदवार कोटा सुब्बाराव को 363971 मत मिले थे।         
 
अब तक सबसे रोचक और कांटे का मुकाबला 1969 में हुआ था जिसमें सत्ता पक्ष के उम्मीदवार को हार का सामना करना पड़ा था। इस चुनाव में कुल 15 उम्मीदवार खड़े हुए थे। मुख्य मुकाबला सत्तारुढ़ कांग्रेस के नीलम संजीव रेड्डी और निर्दलीय वी वी गिरि के बीच हुआ। दोनों में से कोई भी 50 प्रतिशत वोट हासिल नहीं कर पाया था। कुल 836337 मतों से वी वी गिरि को 401515 (करीब 48 प्रतिशत) तथा श्री रेड्डी को 313548 ( 37.5 प्रतिशत) मत मिले।
 
एक अन्य उम्मीदवार सी डी देशमुख को 112769 वोट मिले थे। बाद में दूसरी वरीयता के मतों की गिनती के बाद वी वी गिरि को विजेता घोषित किया गया था। अभी तक हुए और किसी चुनाव में ऐसी स्थिति नहीं आई है।
 
1997 के चुनाव में के आर नारायणन और टी एन शेषन के बीच सीधा मुकाबला हुआ था जिसमें नारायणन को 95 प्रतिशत मत हासिल हुए थे। उन्हें 1006921 मतों में से 956290 मत मिले थे जबकि शेषन को 50631 वोट ही मिल पाए थे। इसके बाद 2002 में हुए चुनाव में एपीजे अब्दुल कलाम करीब 90 प्रतिशत वोट हासिल कर राष्ट्रपति बने थे। उन्हें 1030250 मतों में से 922884 मत मिले थे। वामदलों की उम्मीदवार लक्ष्मी सहगल 107366 मत ही हासिल कर पाई थी।
 
देश की एकमात्र महिला राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने करीब 66 प्रतिशत मत हासिल कर चुनाव जीता था। वर्ष 2007 में हुए चुनाव में उनका मुकाबला भारतीय जनता पार्टी के दिग्गज नेता भैरों सिंह शेखावत से हुआ था। पाटिल को 969422 में से 638116 तथा शेखावत को 331306 मत मिले थे। पिछले चुनाव में प्रणव मुखर्जी 69 प्रतिशत से अधिक मत हासिल करने में सफल हुए थे। कुल 1029750 मतों में से उन्हें 713763 मत मिले थे। उनके एकमात्र प्रतिद्वंद्वी पी ए संगमा को 315987 वोट मिले थे। (वार्ता) 


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