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विदाई समारोह में भावुक हुए प्रणब मुखर्जी

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नई दिल्ली , रविवार, 23 जुलाई 2017 (18:20 IST)
नई दिल्ली। संसद के केंद्रीय कक्ष में रविवार को राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को भावभीनी विदाई दी गई। विदाई समारोह में उपराष्ट्रपति मोहम्मद हामिद अंसारी और लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन  निवर्तमान राष्ट्रपति के साथ मंच पर मौजूद थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने मंत्रिमंडलीय सहयोगियों के साथ समारोह में हिस्सा लिया।
 
इस अवसर पर पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहनसिंह और एचडी देवेगौड़ा, पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी और राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने भाग लिया। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी तथा विपक्ष के प्रमुख नेताओं सहित संसद के दोनों सदनों के करीब-करीब सभी सदस्य समारोह में उपस्थित थे।
 
केंद्रीय कक्ष में पहुंचने पर मुखर्जी का उपराष्ट्रपति ने माला पहनाकर अभिनंदन किया। महाजन ने मुखर्जी को अभिनंदन पत्र तथा स्मृति चिह्न भेंट किया। लोकसभा अध्यक्ष ने सांसदों द्वारा हस्ताक्षित एक पुस्तिका भी निवर्तमान राष्ट्रपति को सौंपी। समारोह को मंच पर आसीन  महाजन और अंसारी तथा  मुखर्जी ने संबोधित किया। प्रणब मुखर्जी अपने विदाई भाषण में भावुक हो गए।

निवर्तमान राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने विभिन्न मामलों में अध्यादेश जारी करने की प्रवृत्ति पर चिंता जताते हुए आज कहा कि किसी भी सरकार को अध्यादेश का फैसला बाध्यकारी परिस्थितियों में ही लेना चाहिए। मुखर्जी ने संसद भवन के केंद्रीय कक्ष में अपने विदाई भाषण में कहा कि अध्यादेश का सहारा बाध्यकारी परिस्थितयों में ही लिया जाना चाहिए। मौद्रिक मामलों में तो इसका सहारा कतई नहीं लेना चाहिए।
 
संसद की कार्यवाही में गतिरोध पैदा करने के मामले में भी निवर्तमान राष्ट्रपति ने कहा कि संसद बहस, विचार-विमर्श तथा असहमति व्यक्त करने की एक जगह है और इसकी कार्यवाही में बाधा आने से विपक्ष को ही ज्यादा नुकसान होता है।
 
संसदीय कार्यवाही में बाधा से होने वाले नुकसान की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि इससे कानून बनाने के समय में कमी आई है। हालांकि उन्होंने हाल ही में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के सर्वसम्मति से पारित होने और गत 1 जुलाई से इसे लागू किए जाने पर प्रसन्नता जताई और कहा कि यह सहकारी संघवाद का शानदार उदाहरण है। (वार्ता) 

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