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जन-धन खातों को लेकर हुआ बड़ा खुलासा

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, मंगलवार, 13 सितम्बर 2016 (14:40 IST)
नई दिल्ली। केंद्र सरकार की जन-धन योजना को लेकर एक बड़ा खुलासा हुआ है। यह योजना बैंकों के लिए परेशानी बनती जा रही है। वैसे तो खाताधारक खुद अपने बैंक खातों में पैसा जमा करते हैं, लेकिन एक अंग्रेजी अखबार में खुलासा हुआ है कि जीरो खातों की संख्या घटाने के लिए बैंक खुद ही लोगों के जन-धन खातों में पैसा जमा कर रहे हैं।
केंद्र सरकार की जन-धन योजना के अंतर्गत कोई भी व्यक्ति जीरो बैलेंस पर जन-धन खाता खोल सकता है, इसलिए करोड़ों की संख्या में लोगों ने इसमें अपने खाते भी खुलवा लिए। अब ये ही खाते बैंकों के लिए नई मुसीबत बनते जा रहे हैं। लोगों से उनके खाते में पैसा जमा करने के लिए कहना थोड़ा मुश्किल काम है इसलिए बैंक खुद अपने अलाउंस से इन खातों में एक या दो रुपए जमा कर रहे हैं।
 
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक जब 6 राज्यों के 25 से ज्यादा गांवों में जाकर खाताधारक और बैंककर्मियों से पड़ताल की तो पता चला कि बैंककर्मी ही इन खातों में पैसा जमा कर रहे हैं। जांच में यह बात सामने आई कि बैंककर्मियों पर जीरो बैलेंस खातों की संख्या कम दिखाने का दबाव होता है, इसलिए वो खातों में पैसा जमा कर रहे हैं।
 
सामान्य तौर पर जीरो बैलेंस खाते का मतलब यह होता है कि उसे कोई भी इस्तेमाल नहीं कर रहा है लिहाजा उसे बंद करने का दबाव बढ़ जाता है इससे बचने के लिए उस खाते में 1 रुपए जमा करना ही सबसे आसान रास्ता नजर आता है।
 
भत्तों से जमा हो रहा है पैसा : जानकारी में यह बात सामने आई है कि कर्मचारियों के यात्रा एवं मनोरंजन भत्ते, कैंटीन सब्सिडी, ऑफिस रखरखाव, डिमांड ड्राफ्ट और ऑनलाइन ट्रांसफर से मिलने वाली फीस से ही इन खातों में पैसा जमा किया जा रहा है। बैंक कर्मियों का कहना है कि वो इन खातों को चलाने के लिए अपनी जेब से पैसा जमा कर रहे हैं। (एजेंसियां) 

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