Prime Minister Narendra Modi Secular Civil Code : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज कहा कि संविधान निर्माताओं और संविधान सभा की भावनाओं के अनुरुप हम देश में सेकुलर सिविल कोड लागू करने के लिए पूरी ताकत से लगे है। मोदी ने लोकसभा में भारत के संविधान की 75 वर्षों की गौरवशाली यात्रा पर दो दिन चली चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि संविधान सभा में समान नागरिक संहिता को लेकर गहन चर्चा की गई थी। बाबा साहब आंबेडकर ने धार्मिक आधार पर बने पर्सनल लॉ को खत्म करने की जरूरत पर बल दिया था।
संविधान सभा के सदस्य के एम मुंशी जी ने तब कहा था कि समान नागरिक संहिता देश की एकता के लिए अनिवार्य है। शीर्ष न्यायालय ने भी कई बार समान नागरिक संहिता लाने की बात कही है। हम इसे लागू करने के लिए पूरी ताकत से लगे हैं।
कांग्रेस के लोग संविधान निर्माताओं की भावना का अनादर कर रहे हैं। उनके लिए संविधान राजनीति का हथियार है। उन्होंने कहा कि 1951 में जब चुनी हुई सरकार नहीं तब भी अध्यादेश लाकर अभिव्यक्ति की आजादी पर हमला कर दिया गया। यह संविधान निर्माताओं को घोर अपमान है। अपने मन की चीजें जो संविधान सभा में नहीं करवा पाए पिछले दरवाजे से किए। उन्होंने कहा कि उसी दौरान उस समय के प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखा था कि अगर संविधान हमारे राह के बीच में आ जाए तो हर हाल में संविधान बदलना चाहिए।
मोदी ने कहा कि संविधान संशोधन करने का ऐसा खून कांग्रेस के मुंह पर लग गया कि वह समय समय पर करती रही। करीब 6 दशक में 75 बार संविधान बदला गया। जो बीज देश के पहले प्रधानमंत्री ने किया उसमें खाद-पानी देने का काम एक और प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने किया।
मोदी ने कहा कि इंदिरा गांधी 1971 में संविधान में जो बदलाव किया उसने मौलिक अधिकारों को छीनने और न्यायपालिका पर नियंत्रण करने का उन्हें अधिकार दिया था। उन्होंने अपनी कुर्सी बचाने के लिए देश में आपातकाल लगाकार संविधान का दुरुपयोग किया।
1975 में 39 बार संविधान संशोधन किया आपातकाल में लोगों के अधिकार छीन लिये गये देश के हजारों लोगों जेल में डाल दिया गया। उऩ्होंने कहा कि आपातकाल में देश में जुल्म और तांडव चल रहा था और एक निर्दयी सरकार संविधान को चूर चूर करती रही थी। यह परंपरा यहां नहीं रुकी। जब राजीव गांधी प्रधानमंत्री बने तब संविधान को एक और झटका दे दिया। शीर्ष न्यायालय से एक महिला को हक मिला था लेकिन राजीव गांधी ने न्यायालय की भावना को नकार कर कट्टरपंथियों के सामने सिर झुका दिया। उऩ्होंने शाह बानो को इंसाफ देने की बजाय संसद में कानून बनाकर उच्चतम न्यायालय के फैसले को पलट दिया।
उऩ्होंने कहा कि अगली पीढी भी इसी कड़ी में जुड़ गया। एक किताब में लिखा गया है कि जिसमें पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा है कि मुझे यह स्वीकार करना होगा कि पार्टी अध्यक्ष सत्ता का केंद्र है। सरकार पार्टी के प्रति जवाबदेह है। इतिहास में पहली बार संविधान को गहरी चोट पहुंचाई गई। प्रधानमंत्री के ऊपर गैर सांविधानिक नेशनल एडवाइजरी काउंसिल बिठाया गया। उसे पीएमओ के ऊपर का दर्जा दिया गया। संविधान के साथ खिलवाड़ करना और न मानना उनकी आदत हो गई है। दुर्भाग्य देखिए एक अहंकारी ने व्यक्ति कैबिनेट के फैसले को फाड़ दिया और कैबिनेट अपना फैसला बदल दिया। ये कौन-सी व्यवस्था है।
मोदी ने कहा कि कांग्रेस ने संविधान की लगातार अवमानना की है। संविधान के महत्व को कम किया है। संविधान के साथ धोखेबाजी की गई। 35ए संसद में आए बिना देश पर थोप दिया। 35 ए न होता तो जम्मू-कश्मीर में ऐसे हालात न होते। इस पर संसद को अंधेरे में रखा गया। उनके पेट में पाप था। बाबा साहब आंबेडकर के प्रति भी कांग्रेस में कटुता भरी थी। कांग्रेस ने आंबेडकर का स्मारक भी नहीं बनवाया। हमने बाबा साहब मेमोरियल बनाया। आरक्षण को धर्म के आधार पर तुष्टिकरण के नाम पर नुकसान पहुंचाया। इसका नुकसान एससी-एसटी ओबीसी को हुआ। कांग्रेस के प्रधानमंत्रियों ने आरक्षण का विरोध किया है। इसके विरोध में लंबी-लंबी चिट्ठियां लिखी हैं। सदन में आरक्षण के खिलाफ भाषण दिए गए। कांग्रेस गई तब ओबीसी को आरक्षण मिला। कांग्रेस ने सत्ता सुख और वोट बैंक के लिए धर्म और संप्रदाय के आधार आरक्षण का खेल खेला। इनपुट एजेंसियां