नई दिल्ली। किडनी की गंभीर बीमारी से पीड़ित लाखों रोगियों को डायलिसिस के महंगे खर्च से राहत पहुंचाने के लिए 'प्रधानमंत्री राष्ट्रीय डायलिसिस' कार्यक्रम के तहत देशभर में ज्यादातर जिला अस्पतालों में डायलिसिस की सुविधा मुहैया कराई जा रही है। एक आरटीआई आवेदन के जरिए मिली सूचना के मुताबिक कुल 2,28,728 रोगियों ने इसका लाभ उठाया है।
सार्वजनिक निजी साझेदारी (पीपीपी) के आधार पर शुरू किए गए इस कार्यक्रम के जरिए देशभर में ज्यादातर जिला अस्पतालों में यह सुविधा मुहैया कराई जा रही है। कार्यक्रम के तहत गरीब रोगियों को मुफ्त में और अन्य को सब्सिडी के साथ यह सुविधा मुहैया कराई जा रही है।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के तहत यह कार्यक्रम चलाया जा रहा है, जिसे वर्ष 2016 में शुरू किया गया। गौरतलब है कि केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने वर्ष 2016-17 के बजट प्रस्ताव में देश के हर जिले में एक डायलिसिस केंद्र खोलने के प्रस्ताव की घोषणा की थी।
सूचना का अधिकार (आरटीआई) कानून के तहत एक आरटीआई आवेदन पर केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय से मिले जवाब के मुताबिक इस कार्यक्रम के तहत देशभर में डायलिसिस की कुल 3,334 मशीनें संचालित की जा रही हैं। ये आंकड़े अक्टूबर 2017 तक के हैं। गुजरात में सबसे ज्यादा 146 केंद्र खोले गए हैं और 869 मशीनें संचालित की जा रही हैं।
आरटीआई आवदेन से मिली सूचना के मुताबिक कार्यक्रम के तहत 533 डिस्ट्रिक्ट हेल्थ सोसाइटी (डीएचएस)/सरकारी अस्पतालों में कुल 2,28,728 रोगियों ने इस सुविधा का लाभ उठाया है। उपलब्ध कराई गई सूचना के अनुसार कर्नाटक में 60, तमिलनाडु (59), मध्यप्रदेश में (52), पंजाब (49), केरल (20), बिहार (10), उत्तरप्रदेश में 5 सरकारी अस्पतालों में डायलिसिस की सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है।
मंत्रालय द्वारा 1 अप्रैल 2016 से लेकर अक्टूबर 2017 तक के उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के मुताबिक कार्यक्रम के तहत देशभर में डायलिसिस की कुल 3,334 मशीनें संचालित की जा रही हैं। पश्चिम बंगाल में मई 2017 तक सर्वाधिक संख्या (42,096) में रोगियों को यह सेवा मुहैया की गई, वहीं जुलाई 2017 तक गुजरात में 35,089, कर्नाटक (17,252), केरल (9,229), बिहार (2,127), उत्तरप्रदेश (1,180), दिल्ली में 8,742 रोगियों को यह सुविधा प्राप्त हुई।
1 अप्रैल 2016 से जुलाई 2017 तक गुजरात में 869, आंध्रप्रदेश (421), केरल (343), बिहार (72), उत्तरप्रदेश (60), और दिल्ली में 60 डायलिसिस मशीनें संचालित की जा रही थीं। साथ ही, मध्यप्रदेश में अक्टूबर 2017 तक 160 मशीनें संचालित की जा रही थीं, वहीं मंत्रालय को आवंटित की गई रकम के बारे में मांगी गई सूचना के जवाब में मंत्रालय ने बताया कि वर्ष 2016-17 में कुल 15,325.2 लाख रुपए मंजूर किए गए।
एक अन्य सवाल के जवाब में मंत्रालय ने बताया कि एनएचएम के तहत वित्तीय एवं तकनीकी सहयोग राज्यों/ केंद्र शासित क्षेत्रों को मुहैया कराया जा रहा है। इसका उद्देश्य जिला अस्पतालों/ सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों में डायलिसिस सेवाओं सहित स्वास्थ्य प्रणाली को मजबूत बनाना है।
दरअसल, निजी अस्पतालों में करीब 2,500 रुपए से 3,500 रुपए प्रति डायलिसिस खर्च आता है। किडनी की गंभीर बीमारी से पीड़ित रोगी को सप्ताह में दो से तीन बार डायलिसिस करानी पड़ती है। यह एक जीवन रक्षक तकनीक है। हालांकि, यह एक अस्थाई इलाज है।
उल्लेखनीय है कि जब मानव शरीर की दोनों किडनियां (गुर्दे) काम करना बंद कर देती हैं, तब उसका कार्य मशीन की सहायता से किया जाता है जिसे 'डायलिसिस' कहते हैं। इस प्रक्रिया के तहत शरीर में जमा होने वाले टॉक्सिन और अतिरिक्त पानी को बाहर निकाला जाता है। (भाषा)