नई दिल्ली। चीन ने सेना पीछे हटाने की पारस्परिक सहमति वाली प्रक्रिया के तहत पूर्वी लद्दाख में गतिरोध के दो और स्थानों- गोग्रा तथा हॉट स्प्रिंग से गुरुवार को अपने सैनिकों की वापसी पूरी कर ली। इसके साथ ही दोनों देश तनाव कम करने के लिए शुक्रवार को एक और दौर की कूटनीतिक वार्ता करने वाले हैं। गलवान घाटी से चीन पहले ही सैनिकों को वापस बुला चुका है।
इस बीच विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने एक मीडिया ब्रीफिंग में गलवान घाटी पर चीन के दावे को एक बार फिर खारिज किया, लेकिन दोहराया कि भारत सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति और स्थिरता की बहाली और वार्ता के माध्यम से मतभेदों के समाधान की आवश्यकता को समझता है।
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि भारत अपनी संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है तथा वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) का पूर्ण सम्मान और अनुपालन सुनिश्चित किया जाना चाहिए क्योंकि यह सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति एवं स्थिरता के लिए आधार है।
सरकारी सूत्रों ने कहा कि दोनों पक्ष ऊंचाई वाले क्षेत्र में अपने सैनिकों को पीछे बुलाने के तौर-तरीकों को अंतिम रूप देने के लिए अगले सप्ताह तक कोर कमांडर स्तर की एक और दौर की वार्ता कर सकते हैं।
उन्होंने बताया कि दोनों पक्षों ने विवाद के तीन बिन्दुओं- गलवान घाटी, गोग्रा और हॉट स्प्रिंग में अस्थायी कदम के तौर पर तीन किलोमीटर का बफर जोन बनाने का काम पूरा कर लिया है।
सूत्रों ने कहा कि पैंगोंग सो में फिंगर 4 क्षेत्र में भी सैनिकों की संख्या में कमी हो रही है। गलवान घाटी से चीन पहले ही सैनिकों को वापस बुला चुका है।
पूर्वी लद्दाख में दोनों देशों के सैनिकों के बीच आठ सप्ताह तक चली तनातनी के बाद विवाद वाली जगहों से सैनिकों को हटाने की प्रक्रिया औपचारिक रूप से सोमवार को शुरू हुई थी।
इस बीच घटनाक्रम की जानकारी रखने वाले लोगों ने कहा कि दोनों पक्ष सीमा विवाद पर शुक्रवार को एक और दौर की ऑनलाइन बैठक करेंगे। यह बैठक भारत-चीन सीमा मामलों से संबंधित विचार एवं समन्वय तंत्र के तहत होगी।
विदेश मंत्रालय में पूर्वी एशिया मामलों के संयुक्त सचिव नवीन श्रीवास्तव चीनी विदेश मंत्रालय में महानिदेशक वु जियांगहाओ के साथ बात करेंगे।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने अपनी ब्रीफिंग में कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने गलवान घाटी क्षेत्र सहित एलएसी पर हालिया घटनाक्रम के बारे में चीनी विदेश मंत्री वांग ई को भारत की स्थिति से स्पष्ट रूप से अवगत करा दिया।
डोभाल और वांग सीमा वार्ता के लिए विशेष प्रतिनिधि हैं जिन्होंने रविवार को फोन पर बात की थी। इसके बाद दोनों देशों की सेनाओं ने पूर्वी लद्दाख में विवाद वाले स्थलों से पीछे हटना शुरू कर दिया था।
श्रीवास्तव ने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने इस परिप्रेक्ष्य में जोर देकर कहा कि भारतीय सैनिकों ने सीमा प्रबंधन की दिशा में हमेशा बहुत ही जिम्मेदार रवैया अपनाया है और साथ ही हमारे सैनिक भारत की संप्रभुता तथा सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए पूरी तरह कटिबद्ध हैं।
उन्होंने कहा कि डोभाल और वांग इस बात पर सहमत हुए कि द्विपक्षीय संबंधों के लिए सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति एवं स्थिरता आवश्यक है। श्रीवास्तव ने यह भी दोहराया कि गलवान घाटी को लेकर किए गए हालिया चीनी दावे ‘अतिशयोक्तिपूर्ण और अपुष्ट’ हैं।
उन्होंने कहा कि हम सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति एवं स्थिरता तथा वार्ता के जरिए मतभदों के समाधान की आवश्यकता को समझते हैं और इसके साथ ही हम भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता सुनिश्चित करने के लिए कटिबद्ध हैं।
गलवान घाटी में हुई झड़प में भारत के 20 सैन्यकर्मी शहीद हुए थे, जबकि अमेरिका की एक खुफिया रिपोर्ट के मुताबिक चीन के 35 सैनिक हताहत हुए।
श्रीवास्तव ने कहा कि दोनों देशों के कूटनीतिक और सैन्य अधिकारी सैनिकों के पीछे हटने और तनाव को कम करने की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए अपनी बैठकें जारी रखेंगे जैसी कि विशेष प्रतिनिधियों के बीच सहमति बनी है।
उन्होंने कहा कि भारत-चीन सीमा मामलों पर विमर्श एवं समन्वय कामकाजी तंत्र की बैठक जल्द होने की उम्मीद है। इस बीच चीन ने कहा कि चीनी और भारतीय सैनिकों ने पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर गलवान घाटी और अन्य क्षेत्रों से पीछे हटने के लिए ‘प्रभावी कदम’ उठाए हैं तथा ‘स्थिति स्थिर है और इसमें सुधार हो रहा है।’
चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजिआन ने बीजिंग में संवाददाताओं से कहा कि कमांडर स्तर की बातचीत में बनी सहमति पर अमल करते हुए चीन और भारत के सीमा सैनिकों ने गलवान घाटी तथा अन्य इलाकों में अग्रिम रेखा पर पीछे हटने के लिए प्रभावी कदम उठाए हैं। उन्होंने कहा कि सीमा पर हालात स्थिर हैं और बेहतर हो रहे हैं। (भाषा)