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प्रोटेम स्पीकर भाजपा का ही, सुप्रीम कोर्ट में कांग्रेस की हार

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, शनिवार, 19 मई 2018 (11:14 IST)
नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने कर्नाटक के राज्यपाल द्वारा केजी बोपैया को प्रोटेम अध्यक्ष नियुक्त करने के फैसले को चुनौती देने वाली कांग्रेस और जद (एस) की संयुक्त याचिका पर सुनवाई शुरू करते हुए यह स्पष्ट कर दिया कि हम प्रोटेम स्पीकर की नियुक्ति नहीं करा सकते। प्रोटेम स्पीकर पर राज्यपाल को नहीं कह सकते।

उच्चतम न्यायालय ने कांग्रेस-जनता दल (एस) गठबंधन को आज करारा झटका देते हुए श्री केजी बोपैया को कर्नाटक विधानसभा का अस्थाई अध्यक्ष नियुक्त किए जाने के खिलाफ उसकी याचिका ठुकरा दी। न्यायमूर्ति अर्जन कुमार सिकरी, न्यायमूर्ति एसए बोबडे और न्यायमूर्ति अशोक भूषण की पीठ ने अस्थायी अध्यक्ष की नियुक्ति के खिलाफ कांग्रेस-जद (एस) की याचिका को आगे की सुनवाई के लिए स्वीकार करने से इनकार कर दिया।
 
 
याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंघवी ने श्री बोपैया के पुराने इतिहास का हवाला देते हुए उनकी नियुक्ति पर सवाल खड़े किए थे।
 
वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने उच्चतम न्यायालय में कहा कि परंपरा के अनुसार सबसे वरिष्ठ विधायक को प्रोटेम अध्यक्ष नियुक्त किया जाना चाहिए था। कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट से कहा, बोपैया ने पहले भी येदियुरप्पा के फेवर (पक्ष) में काम किया है।
 
 
सुनवाई के दौरान कपिल सिब्बल ने अपनी दलील में कहा, 'सदन के सबसे सीनियर सदस्य को ही प्रोटेम स्पीकर बनाया जाता है. संसद में भी यही नियम लागू होता है।' इस पर सुप्रीम कोर्ट के जज बोवडे ने कहा, 'कई बार ऐसा नहीं होता है. सीनियर का मतलब कार्यकाल से होता है।'

राज्यपाल वजूभाई वाला की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दलील दी कि शक्ति परीक्षण की पूरी प्रक्रिया की सीधे प्रसारण की व्यवस्था की गयी है इसलिए किसी प्रकार की गड़बड़ी की कोई आशंका नहीं है।
 
इस पर न्यायालय ने यह कहते हुए याचिका खारिज कर दी कि श्री मेहता ने उनकी समस्या हल कर दी है। सभी क्षेत्रीय समाचार चैनलों से इसका सीधा प्रसारण किया जाएगा और न्यायालय का एक मात्र उद्देश्य निष्पक्ष शक्ति परीक्षण कराना है।
 
कांग्रेस- जद (एस) गठबंधन की ओर से पेश हुए सिब्बल ने कहा कि प्रोटेम स्पीकर की नियुक्ति के लिए राज्यपाल के पास सीमित विवेकाधिकार है। अगर प्रोटेम स्पीकर को सिर्फ विधायकों को शपथ दिलानी होती तो हमें कोई आपत्ति नहीं होती, समस्या यह है कि वही शक्ति परीक्षण संचालित करेंगे। राष्ट्रमंडल देशों में सबसे वरिष्ठ विधायक को प्रोटेम अध्यक्ष बनाने का चलन है
 
 
सुप्रीम कोर्ट ने ये कहा:
उच्चतम न्यायालय जज ने कहा, अगर आप (सिब्बल) प्रोटेम अध्यक्ष पर अंगुली उठा रहे हैं तो हमें उन्हें नोटिस जारी करना होगा और शक्ति परीक्षण टालना होगा। जज ने कहा, नियुक्ति को चुनौती दी तो नोटिस जारी करना होगा। ऐसे में आज बहुमत परीक्षण नहीं हो पाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा- हमें येदियुरप्पा को भी सुनना होगा। कांग्रेस अगर बोपैया पर अड़ी रहती है तो आज बहुमत परीक्षण नहीं हो सकेगा। जज ने कहा कि या तो बोपैया पर अड़े या बहुमत परीक्षण होने दें। हम प्रोटेम स्पीकर की नियुक्ति नहीं करा सकते। प्रोटेम स्पीकर पर राज्यपाल को नहीं कह सकते।
 
 
विधानसभा में कार्यवाही शुरू :
इस बीच, कर्नाटक विधानसभा में कार्यवाही शुरू हो गई है। चुने गए नए विधायकों को शपथ दिलाने के लिए आज विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया गया है। आज शाम होने वाले फ्लोर टेस्ट के लिए प्रोटेम स्पीकर के जी बोपैया कर्नाटक विधानसभा पहुंचे हैं। मुख्यमंत्री येदियुरप्पा और बीजेपी के विधायक बी श्रीरामलू भी विधानसभा पहुंचे हैं।

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