कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसान अब सरकार के लिए नई मुसीबत बनने जा रहे हैं। किसानों के 'संयुक्त किसान मोर्चे' ने 26 जून को देशभर के राजभवनों पर प्रदर्शन करने का ऐलान किया है।
इधर, महिला आंदोलनकारियों की शिकायतों और चिंताओं के मद्देनजर हेल्पलाइन नंबर भी जारी किए जा रहे हैं।
दरअसल किसान आंदोलन को 7 महीने पूरे हो रहे हैं। संयुक्त किसान मोर्चा के नेता इंद्रजीत सिंह ने बताया कि 24 जून को आंदोलन स्थलों पर संत कबीर जंयती भी मनाई जाएगी। इसी दिन पिछड़ा वर्ग और अनुसूचित जाति के किसानों को धरनास्थल पर बुलाया जाएगा।
किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा-7 महीने पूरे होने पर राज्यपाल को एक ज्ञापन जाएगा और ये ज्ञापन राष्ट्रपति के नाम होगा। 7 महीने पूरे हो गए हैं, सरकार बात नहीं कर रही है तो राष्ट्रपति को हस्तक्षेप करना चाहिए ये ज्ञापन जाएगा।
26 जून के प्रदर्शन के लिए किसानों ने प्रशासन से किसी भी तरह की अनुमति लेने से इनकार कर दिया है। किसान नेता इंद्रजीत ने कहा है कि 26 जून को खेती बचाओ-लोकतंत्र बचाओ दिवस मनाएंगे। इसके तहत राजभवनों का घेराव करके काले झंडे दिखाए जाएंगे। बाद में राष्ट्रपति के नाम एक यापन सौंपा जाएगा। संयुक्त मोर्चा की यह बैठक शुक्रवार को हरियाणा के कुंडली बार्डर पर हुई।
संयुक्त किसान मोर्चे ने दावा किया कि उसके साथ देश के 40 से अधिक किसान संघ हैं। किसान नेता ने कहा कि 26 जून वो दिन है, जब 1975 में देश में आपातकाल लागू किया गया था। यह भी एक अघोषित आपातकाल है। किसान इस समय दिल्ली के बॉर्डर पर धरने पर बैठे हैं। इनमें पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के किसान बड़ी संख्या में शामिल हैं।
बैठक में किसान आंदोलन में शामिल महिला प्रदर्शनकारियों की शिकायतों पर भी गौर किया गया। बैठक में निर्णय लिया गया कि महिलाओं की सुरक्षा और अन्य चिंताओं को देखते हुए शनिवार तक समितियां बनाई जाएंगी। इसके बाद रविवार तक हेल्पलाइन नंबर जारी किए जाएंगे।