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पीएसएलवी का अभियान सफल, 8 उपग्रह कक्षा में स्‍थापित

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, सोमवार, 26 सितम्बर 2016 (16:54 IST)
श्रीहरिकोटा (आंध्रप्रदेश)। अपने अब तक के सबसे लंबे अभियान के तहत भारत के सबसे अहम प्रक्षेपण यान पीएसएलवी ने सोमवार को 8 उपग्रहों का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण करने के बाद उन्हें 2 अलग-अलग कक्षाओं में स्थापित कर दिया। 
इन 8 उपग्रहों में भारत का एक मौसम उपग्रह स्कैटसैट-1 और अन्य देशों के 5 उपग्रह भी शामिल हैं। इन उपग्रहों को 2 अलग-अलग कक्षाओं में प्रवेश करवाने के लिए 4 चरणीय इंजन को 2 बार पुन: शुरू किया गया।
 
सबसे पहले 371 किलोग्राम वजन वाले प्राथमिक उपग्रह स्कैटसैट-1 को पोलर सन सिंक्रोनस ऑर्बिट में प्रवेश कराया गया। इस कक्षा में उपग्रह सूर्योन्मुख होता है। स्कैटसैट-1 को कक्षा में प्रवेश करवाने का काम पीएसएलवी सी-35 के सुबह 9 बजकर 12 मिनट पर अंतरिक्ष केंद्र से उड़ान भरने के लगभग 17 मिनट बाद किया गया।
 
इसके बाद रॉकेट ने लगभग 2 घंटे 15 मिनट बाद अन्य उपग्रहों को 689 किलोमीटर की ऊंचाई पर स्थित एक निचली ध्रुवीय कक्षा में सटीकता के साथ प्रवेश करवाया। पीएसएलवी एक्सएल प्रारूप के तहत अपनी इस 15वीं उड़ान में जितने पेलोड अपने साथ ले गया है, उसका कुल वजन लगभग 675 किलोग्राम है।
 
स्कैटसैट-1 के अलावा जिन उपग्रहों को कक्षा में प्रवेश कराया गया, उनमें भारतीय विश्वविद्यालयों के 2 उपग्रह- प्रथम और पीआई सैट, अल्जीरिया के 3 उपग्रह- अलसैट-1बी, अलसैट-2बी और अलसैट-1एन, अमेरिका का उपग्रह- पाथफाइंडर-1 और कनाडा का उपग्रह- एनएलएस-19 शामिल थे।
 
इसरो ने कहा कि स्कैटसैट-1 मौसम की भविष्यवाणी, चक्रवात की पहचान से जुड़ी सेवाओं के लिए हवा की दिशा से जुड़ी जानकारी उपलब्ध करवाने वाले ओशियनसैट-2 के स्कैट्रोमीटर का एक सतत अभियान है। 
 
उपग्रह में केयू-बैंड स्कैट्रोमीटर मौजूद है। ऐसा ही स्कैट्रोमीटर ओशियनसैट-2 में भी मौजूद था। उपग्रह के अभियान की कुल अवधि 5 साल है। इसरो के अध्यक्ष एएस किरण कुमार ने वैज्ञानिकों को बधाई दी और इस उपलब्धि को ऐतिहासिक करार दिया। उन्होंने कहा कि स्कैटसैट से 180 मिनट के भीतर डाटा मिलने लगेगा।
 
उन्होंने कहा कि लगभग 2 घंटे की लंबी अवधि में चौथे चरण की प्रक्रिया हुई और यह पुन: शुरू हुआ। यह पूरा अभियान बेहद सफल रहा। मैं इस अवसर पर इसरो के पूरे दल को उनके द्वारा किए गए शानदार काम के लिए बधाई देना चाहता हूं। 
 
उन्होंने कहा कि सोमवार का दिन निश्चित तौर पर हमारे लिए ऐतिहासिक रहा। हम 8 उपग्रहों व अपने स्कैट्रोमीटर को प्रक्षेपित कर सके हैं। यह असल में ओशियनसैट-1 और ओशियनसैट-2 के बीच की व्यवस्था है। यह एक ऐसा उपग्रह है, जो वैश्विक समुदाय को मौसम की भविष्यवाणी के आंकिक मॉडल के लिए समुद्री हवा की दिशा आदि से जुड़ी जानकारी उपलब्ध कराएगा। यह जानकारी डाटा जुटाए जाने के 180 मिनट के भीतर उपलब्ध होगी। 
 
विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र के निदेशक के. शिवन ने कहा कि यह अभियान एक रोमांचक व शानदार अभियान है। निम्नतम फैलाव वाला यह एक सबसे लंबा अभियान है। कक्षीय प्रसार 1 किलोमीटर से भी कम रहा। यह अद्भुत है। 
 
उन्होंने कहा कि सभी अन्य ग्राहक उपग्रह (3 अल्जीरिया के, 1-1 अमेरिका और कनाडा का) निर्धारित कक्षा में सटीकता के साथ स्थापित कर दिए गए हैं। इसरो के भावी प्रक्षेपणों के बारे में उन्होंने कहा कि हम इस साल के अंत के लिए ऐतिहासिक जीएसएलवी मार्क 3 अभियान की योजना बना रहे हैं। हमारे पास मानवीय अंतरिक्ष कार्यक्रम भी है। मतलब आने वाले दिन रोमांचक होने वाले हैं।
 
सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के निदेशक कुन्ही कृष्णन ने कहा कि पीएसएलवी के जरिए एक रोमांचक अभियान को अंजाम दिया गया। यह संयोग ही है कि इस साल इसरो के 8वें प्रक्षेपण में 8 उपग्रहों को कक्षा में स्थापित किया गया। 
 
उन्होंने कहा कि जैसा कि (वीएसएससी के निदेशक) डॉ. शिवन ने बताया कि यह पीएसएलवी का सबसे लंबा अभियान था। यह 2 घंटे 15 मिनट का रहा लेकिन इसकी तैयारी (प्रक्षेपण यान का समाकलन आदि) में सबसे कम यानी 35 दिन लगे। यह पहली बार है, जब श्रीहरिकोटा से एक ही माह में 2 प्रक्षेपण हुए हैं। 
 
उन्होंने कहा कि जीएसएलवी मार्क-3 की पहली विकासात्मक उड़ान समेत विभिन्न अभियानों के चलते आने वाले दिन बेहद व्यस्त और दिलचस्प होने वाले हैं। पीएसएलवी के जरिए भेजे गए 8 उपग्रहों में 2 अकादमिक उपग्रह भी हैं। इनमें एक उपग्रह आईआईटी मुंबई का प्रथम और दूसरा बेंगलुरु विश्वविद्यालय एवं उसके संघ का उपग्रह पीआई सैट है। 
 
प्रथम का उद्देश्य कुल इलेक्ट्रॉनों की संख्या का पता लगाना है जबकि पीआई सैट का डिजाइन और विकास रिमोट सेंसिंग अनुप्रयोगों के लिए एक नैनोसैटेलाइट विकसित करने के लिए किया गया है।
 
अल्जीरिया का अलसैट-1बी पृथ्वी का अवलोकन करने वाला उपग्रह है, जिसका काम कृषि, पर्यावरण और आपदाओं का निरीक्षण करना है। अलसैट-2बी एक रिमोट सेंसिंग सैटेलाइट है जबकि अलसैट-1एन छात्रों के लिए बना प्रौद्योगिकी प्रदर्शन वाला उपग्रह है।
 
अमेरिका का पाथफाइंडर-1 हाई रेजोल्यूशन पर तस्वीरें लेने वाला व्यावसायिक माइक्रोसैटेलाइट है जबकि कनाडा का एनएलएस-19 प्रौद्योगिकी प्रदर्शन वाला उपग्रह है। इसका काम अंतरिक्षीय मलबे को कम करने और व्यावसायिक विमानों के रास्ते का पता लगाने से जुड़े प्रयोगों को अंजाम देना है।
 
अभियान के निदेशक बी. जयकुमार ने कहा कि पीएसएलवी के सोमवार के बहुकक्षीय अभियान के लिए पर्याप्त परीक्षण किए गए थे। उपग्रहों को 2 अलग-अलग कक्षाओं में प्रवेश कराने के लिए चौथे चरण के इंजन को 2 बार पुन: चालू करना था।
 
उन्होंने कहा कि इसलिए हमें वास्तविक अभियान से पहले यह यकीन था कि प्रणालियां योजना के मुताबिक काम करेंगी। उन्होंने कई साल पहले इसरो द्वारा अंजाम दिए गए इसी तरह के काम को याद करते हुए कहा कि कुछ समय पहले सी-3 अभियान में हमने ऐसा किया था। 
 
उस अभियान में छोटे उपग्रहों में से एक को मुख्य उपग्रह से कुछ ऊंची कक्षा में भेजा गया था, लेकिन उस समय वह एक छोटा कार्य था। उन्होंने कहा कि तब इसरो ने सिर्फ प्रक्षेपकों का इस्तेमाल किया था, मुख्य ईंजन का नहीं। आज पीएस-4 इंजन को दो बार पुन: चालू किया गया।
 
जयकुमार ने सोमवार के पीएसएलवी प्रक्षेपण को 'बहुत जटिल और लंबी अवधि वाला अभियान' करार दिया। उन्होंने कहा कि ये एक अभियान में दो अभियान जैसा दो प्रक्षेपणों जैसा था। 
 
उन्होंने कहा कि इसमें विद्युत प्रबंधन जैसी कई चुनौतियां थीं और इसरो के दल ने इसका प्रबंधन प्रभावी तरीके से करके दिखाया। (भाषा) 

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