नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने न्यायाधीशों पर महाभियोग चलाने के संबंध में जनप्रतिनिधियों सहित अन्य लोगों के सार्वजनिक बयानों को शुक्रवार को बेहद दुर्भाग्यपूर्ण बताया।
न्यायमूर्ति एके सीकरी और न्यायमूर्ति अशोक भूषण की पीठ ने कहा कि हम सभी इसे लेकर बहुत विक्षुब्ध हैं। पीठ ने यह टिप्पणी उस वक्त की जब याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए वकील ने न्यायाधीशों पर महाभियोग चलाने के संबंध में नेताओं के सार्वजनिक बयानों का मुद्दा उठाया।
शीर्ष अदालत ने अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल से कहा कि वे इस मुद्दे को लेकर दायर याचिका के निपटारे में उसकी मदद करें। याचिका में ऐसे बयानों से जुड़ी खबरें प्रकाशित/प्रसारित करने के लिए मीडिया पर प्रतिबंध लगाने का भी अनुरोध किया गया है।
शीर्ष अदालत की टिप्पणी इसलिए भी ज्यादा महत्वपूर्ण हो गई है, क्योंकि कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने शुक्रवार को ही प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग संबंधी नोटिस संबंधित प्राधिकार को सौंपने का फैसला लिया है।
गौरतलब है कि न्यायालय ने गुरुवार को ही सीबीआई के विशेष न्यायाधीश बीएच लोया मामले में फैसला सुनाया है। हालांकि शुक्रवार की सुनवाई में संक्षिप्त दलील के दौरान प्रधान न्यायाधीश का कोई संदर्भ नहीं आया था।
शीर्ष अदालत ने इस संबंध में अटॉर्नी जनरल से मदद करने का आग्रह करते हुए कहा कि अटार्नी जनरल का पक्ष सुने बगैर मीडिया पर अंकुश लगाने के बारे में कोई भी आदेश नहीं दिया जाएगा। इसके साथ ही पीठ ने इस मामले की सुनवाई 7 मई के लिए स्थगित कर दी। (भाषा)