चंडीगढ़। नवजोत सिंह सिद्धू को पंजाब कांग्रेस प्रमुख बनाए जाने की संभावना के बीच रविवार को मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह के समर्थन में आते हुए 11 विधायकों ने उन्हें जनता का सबसे बड़ा नेता बताया और पार्टी आलाकमान से उन्हें निराश नहीं करने का आग्रह किया।
इस बीच पंजाब कांग्रेस प्रमुख सुनील जाखड़ ने पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी द्वारा लिए जाने वाले किसी भी फैसले का समर्थन करने को लेकर एक प्रस्ताव जारी करने के लिए सोमवार को पार्टी विधायकों और जिला इकाई के अध्यक्षों की एक बैठक बुलायी है। फेरबदल में जाखड़ को अपना पद गंवाना पड़ सकता है।
क्रिकेटर से नेता बने सिद्धू ने भी अपनी पहल तेज कर दी है और अपना समर्थन जुटाने के लिए पार्टी के नेताओं और विधायकों से मुलाकात की। सिद्धू को प्रदेश कांग्रेस प्रमुख बनाए जाने की चर्चा है। जाति समीकरण का संतुलन बनाए रखने के लिए कार्यकारी अध्यक्षों की नियुक्ति की भी चर्चा है। इस बीच दिल्ली और पंजाब में कांग्रेस के नेताओं ने कई बैठकें की। कांग्रेस के राज्य के 11 में से नौ सांसदों ने रविवार को दिल्ली में प्रताप सिंह बाजवा के आवास पर बैठक की
पंजाब के 10 विधायकों ने अमरिंदर सिंह के समर्थन में एक बयान जारी कर कहा कि वे जनता के सबसे बड़े नेता हैं। कांग्रेस के 7 विधायकों और पाला बदलकर हाल में सत्तारूढ़ दल में आए आम आदमी पार्टी (आप) के तीन विधायकों ने भी कहा कि नवजोत सिंह सिद्धू एक सेलिब्रिटी हैं और निस्संदेह पार्टी के लिए वे एक संपत्ति हैं, लेकिन सार्वजनिक रूप से अपनी ही पार्टी और सरकार की निंदा और आलोचना कर उन्होंने कार्यकर्ताओं में असंतोष बढ़ाया है और संगठन को कमजोर किया है।
कांग्रेस नेता सुखपाल सिंह खैरा ने 10 विधायकों की ओर से संयुक्त बयान जारी किया। कांग्रेस के सात विधायकों में कुलदीप सिंह वैद, फतेहजंग बाजवा, गुरप्रीत सिंह जीपी, संतोख सिंह, बलविंदर सिंह लाडी, जोगिंदरपाल और हरमिंदर सिंह गिल हैं।
खैरा के अलावा, बयान जारी करने वाले आप के दो बागी विधायक जगदेव सिंह कमलू और पीरमल सिंह खालसा हैं। तीनों जून के महीने में कांग्रेस में शामिल हो गए थे। बयान में विधायकों ने पार्टी आलाकमान से यह कहते हुए अमरिंदर सिंह को निराश नहीं करने का आग्रह किया कि उनके अथक प्रयासों के कारण पार्टी पंजाब में अच्छी तरह से स्थापित है।
उन्होंने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रमुख की नियुक्ति पार्टी आलाकमान का विशेषाधिकार है, लेकिन सार्वजनिक रूप से बयानबाजी से पिछले कुछ महीनों के दौरान पार्टी पर असर पड़ा है। बयान में विधायकों ने कहा कि सिंह का राज्य में समाज के विभिन्न वर्गों, विशेष रूप से किसानों के बीच अपार सम्मान है।
विधायकों ने कहा कि चूंकि चुनाव के लिए केवल छह महीने बचे हैं, इसलिए पार्टी को अलग-अलग दिशाओं में ले जाने की खींचतान से 2022 के चुनावों में इसकी संभावनाओं को नुकसान पहुंचेगा।
कांग्रेस के एक अन्य विधायक नवतेज सिंह चीमा ने कहा कि अमरिंदर सिंह के बिना अगली सरकार बनाना संभव नहीं है। चीमा ने आलाकमान से मामले को जल्द से जल्द हल करने की अपील करते हुए कहा कि 'मुझे नहीं लगता कि इतने बड़े कद का कोई नेता है।'
सिंह के साथ जारी टकराव के बीच सिद्धू ने रविवार को पटियाला, खन्ना और जालंधर में पार्टी के विधायकों से मुलाकात की जहां उनका गर्मजोशी से स्वागत किया गया। सिद्धू ने सबसे पहले घनौर के विधायक मदन लाल जलालपुर से उनके आवास पर मुलाकात की।
जलालपुर के आवास पर कैबिनेट मंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा, विधायक बरिंदरमीत सिंह पाहरा और दर्शन बराड़ भी मौजूद रहे। सिद्धू ने शूतराना विधानसभा क्षेत्र से विधायक निर्मल सिंह से भी मुलाकात की। बाद में उन्होंने खन्ना के विधायक गुरकीरत सिंह कोटली और पायल के विधायक लखवीर सिंह लाखा से मुलाकात की।
जाखड़ द्वारा बैठक बुलाने के फैसले का कांग्रेस नेता सुखपाल सिंह खैरा ने विरोध किया। उन्होंने कहा कि पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी (पीपीसीसी) पहले ही भंग कर दी गई है। खैरा ने एक ट्वीट में कहा कि मैं सुनील जाखड़ से आग्रह करता हूं कि शक्ति प्रदर्शन में शामिल न हों और कांग्रेस अध्यक्ष की घोषणा की प्रतीक्षा करें। चूंकि पीपीसीसी भंग है, इसलिए बैठक का कोई महत्व नहीं होगा और यह अमान्य होगा। यह एकजुट होने का समय है बांटने का नहीं।
वर्ष 2020 में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी और राज्य की सभी जिला समितियों को भंग कर दिया था। हालांकि प्रदेश इकाई के अध्यक्ष सुनील जाखड़ इस पद पर बने रहे।
दिल्ली में पार्टी सांसदों के साथ मुलाकात के बाद बाजवा ने कहा कि पंजाब कांग्रेस में गुटबाजी नहीं है और नेतृत्व ने कहा है कि चुनाव मुख्यमंत्री के नेतृत्व में लड़ा जाएगा।
प्रदेश कांग्रेस कमेटी के नए अध्यक्ष की नियुक्ति के बारे में पूछे जाने पर बाजवा ने संवाददाताओं से कहा कि पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी द्वारा किया गया कोई भी निर्णय सभी को स्वीकार्य होगा।
उन्होंने कहा कि संसद सत्र के मद्देनजर और उठाए जाने वाले मुद्दों पर चर्चा के लिए बैठक बुलायी गयी थी। बाजवा ने कहा कि पंजाब कांग्रेस में गुटबाजी नहीं है और नेतृत्व ने कहा है कि चुनाव मुख्यमंत्री के नेतृत्व में लड़ा जाएगा। (भाषा)