Disqualification case against MLAs : महाराष्ट्र विधानसभा के अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने शुक्रवार को कहा कि वह शिवसेना के कुछ विधायकों के खिलाफ अयोग्यता याचिकाओं पर फैसले में देरी नहीं करना चाहते, लेकिन उन्होंने न्याय में विलंब होने से न्याय से वंचित होने की कहावत का हवाला देते हुए दावा किया कि जल्दबाजी में किए गए न्याय से न्याय दफन हो जाता है।
पिछले साल शिवसेना उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे गुटों में विभाजित हो गई थी, जिसके बाद शिंदे ने मुख्यमंत्री के खेमे के कई विधायकों को अयोग्य ठहराने का अनुरोध करते हुए अध्यक्ष के पास याचिका दायर की थी। उच्चतम न्यायालय ने शिंदे और कई विधायकों के खिलाफ अयोग्यता संबंधी याचिकाओं पर निर्णय करने में हो रही देरी पर शुक्रवार को प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष को आड़े हाथ लिया।
प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली एक पीठ ने कहा, किसी को तो (विधानसभा) अध्यक्ष को यह सलाह देनी होगी। वह उच्चतम न्यायालय के आदेशों की अनेदखी नहीं कर सकते हैं। पी20 शिखर सम्मेलन के लिए दिल्ली आए नार्वेकर ने कहा, जिस तरह न्याय में देरी करना न्याय न देने के समान है, उसी तरह जल्दबाजी में किए गए न्याय से न्याय दफन हो जाता है।
नार्वेकर ने कहा, मैं कार्यवाही में देरी नहीं करना चाहता। लेकिन मैं जल्दबाजी कोई भी फैसला नहीं करना चाहता। नार्वेकर ने कहा कि वह अयोग्यता से संबंधित विधानसभा नियमों के साथ-साथ संविधान के प्रावधानों के अनुसार काम कर रहे हैं।
उच्चतम न्यायालय ने 18 सितंबर को अध्यक्ष को शिंदे और अन्य विधायकों के खिलाफ अयोग्यता याचिकाओं पर फैसले के लिए समयसीमा बताने का निर्देश दिया था। उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना (यूबीटी) लगातार दावा कर रही है कि नार्वेकर अयोग्यता याचिकाओं पर निर्णय लेने में देरी कर रहे हैं।
Edited By : Chetan Gour (भाषा)