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रेल पटरियों में फ्रैक्चर का पता लगाएगा 'यूबीआरडी'

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, सोमवार, 21 नवंबर 2016 (23:23 IST)
नई दिल्ली। रेलवे ने रेल पटरियों की सुरक्षा की निगरानी के लिए दक्षिण अफ्रीका से एक खास तकनीक आयात की है और उत्तर प्रदेश में ही मुरादाबाद और इलाहाबाद मंडलों में इस तकनीक को परीक्षण के लिए लगाया गया है।
रेलवे के आधिकारिक सूत्रों ने यहां बताया कि रेलवे ने मिशन ज़ीरो एक्सीडेंट के तहत गर्मी और अत्यधिक सर्दी के मौसम में रेल लाइनों के टूटने या चटक पड़ने का पता लगाने के लिए दक्षिण अफ्रीका से अल्ट्रासोनिक ब्रोकन रेल डिटेक्शन (यूबीआरडी) सिस्टम मंगाया है।
 
यह प्रणाली उत्तर मध्य रेलवे के इलाहाबाद मंडल और उत्तर रेलवे के मुरादाबाद मंडल में परीक्षण के लिए लगायी गयी है। इस प्रणाली में एक ट्रांसमीटर होता है जो पटरी के एक छोर पर लगाया जाता है। दूसरे छोर पर एक रिसीवर होता है। ट्रांसमीटर एक तरंग छोड़ता है और अगर रिसीवर को वो तरंग नहीं मिलती है तो पता चल जाता है कि कहीं बीच में कोई समस्या है।
 
सूत्रों के अनुसार इस प्रणाली से अत्यंत बारीक चटक का भी पता चल जाता है। इस प्रणाली की कीमत आठ से दस लाख प्रति किलोमीटर है। इस प्रणाली को मंगाने का फैसला आसान नहीं रहा। करीब छह माह तक फाइल के एक मेज से दूसरी मेज घूमने के बाद यह फैसला हो पाया और दीपावली के बाद इस सिस्टम का परीक्षण शुरू किया गया है।
 
उत्तरप्रदेश के कानपुर देहात जिले में पुखरायाँ के समीप 19321 इंदौर-राजेन्द्रनगर पटना एक्सप्रेस की दुर्घटना के बाद आज पूर्ण रेलवे बोर्ड की बैठक हुई। संरक्षा उपायों पर केंद्रित इस बैठक में भी इस तकनीक के बारे में चर्चा हुई है। सूत्रों ने बताया कि रेलवे बोर्ड संरक्षा के लिए बनी डॉ. अनिल काकोडकर समिति की 142 सिफारिशों में से 85 सिफारिशें स्वीकार कर चुका है। (वार्ता) 

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