वाराणसी। रेलवे के लोकोपायलटों की इंजन में हर गतिविधि पर अब केंद्रीय कंट्रोल रूम से पैनी नज़र रखी जायेगी और अगर इंजन पर तैनात लोकोपायलट को एक झपकी भी आई तो अलार्म बज जाएगा।
रेलवे के संरक्षा उपायों के क्रम में लोकोपायलट की तरफ से होने वाली चूक को रोकने के मकसद में रेल इंजनों में अब वीडियो एवं वॉयस रिकॉर्डिंग एवं मॉनिटरिंग सिस्टम (एलसीवीआर) लगाया जा रहा है।
वाराणसी स्थित डीजल रेल कारखाने में बनने वाले सभी रेल इंजनों में इस प्रणाली को लगाने का फैसला किया गया है। इस प्रणाली में वीडियो कैमरों, माइक्रोफोन एवं वीडियो रिकॉर्डर और बाहर एक अलार्म भी होता है जो इंजन के कैबिन में लगाया जायेगा। एलसीवीआर इंजन में लोकोपायलट एवं उसके सहायक के बीच के वार्तालाप को भी सुन एवं रिकॉर्ड कर सकेगा।
डीजल रेल कारखाने के अधिकारियों ने बताया कि रेलवे बोर्ड के निर्देश पर अब हर लोकोमोटिव में इस प्रणाली को लगाया जायेगा। जुलाई 2017 से इस प्रणाली से लैस इंजन तैयार होने लगेंगे। इस कारखाने को 12 ऐसे लोकोमोटिव तैयार करने का आदेश मिला है।
अधिकारियों ने बताया कि इंजन में कुछ समय पूर्व आईटी आधारित एक समग्र ट्रेन प्रबंधन प्रणाली भी लगायी गयी है जिसे रैमलॉट कहा जाता है। इसमें दो प्रणालियां -लोकोमोटिव एंड ट्रेन मैनेजमेंट सिस्टम (एलटीएमएस) और लोकोमोटिव रिमोट मॉनिटरिंग सिस्टम (एलआरएमएस) होती हैं। रैमलॉट में दो सिम कार्ड (एक जीएसएम और एक सीडीएमए) होते हैं जिसकी सहायता से ये रेलवे के एक केंद्रीय सर्वर से जुड़े होते हैं।
रैमलॉट के माध्यम से इंजन का रियल टाइम डाटा एवं लोकेशन केंद्रीय कंट्रोल रूम की निगरानी में होता है। इंजन में किसी प्रणाली में कोई खराबी की संभावना के बारे में यह पहले से ही अलर्ट कर देता है। इस प्रकार से बीच रास्ते में इंजन फेल होने की घटनाओं पर नियंत्रण पाया जा सकता है।
इस प्रकार से एलसीवीआर एवं रैमलॉट मिलाकर रेल इंजन में एक ऐसी प्रणाली कायम होगी जो हवाई जहाज़ के ब्लैक बॉक्स जैसा ही काम करेगी। इसको अतिसुरक्षित बनाया गया है। रेल दुर्घटनाओं की जांच में सहायक होने के साथ ही यह दुर्घटनाओं को रोकने में भी कारगर होगी। इंजन ड्राइवर यानी लोकोपायलट को अगर जरा सी झपकी भी आई तो तुरंत अलॉर्म बज जाएगा। इसी प्रकार से लोकोपायलट अगर नशा करता है तो भी इस प्रणाली से उसे तुरंत पकड़ा जा सकता है। रेलवे के नियमों एवं सेवा शर्तों के अनुसार लोकोपायलट के नशे में पाए जाने पर नौकरी से बर्खास्तगी का प्रावधान है।
इसी क्रम में लोकोपायलटों के लिए इंजन में शौचालय बनाना भी शुरू हो गया है लेकिन संरक्षा की दृष्टि से इसे इस प्रकार से बनाया गया है कि लोकोपायलट के इंजन में रहने के शौचालय में होने के दौरान इंजन आगे नहीं बढ़ पाएगा। अधिकारियों ने बताया कि लोकोपायलट को शौचालय तभी इस्तेमाल करने की अनुमति होगी जब गाड़ी खड़ी होगी।
रेल राज्य मंत्री मनोज सिन्हा के अनुसार रेल मंत्रालय ने भारतीय रेल को दुर्घटना मुक्त बनाने का लक्ष्य रखा है और दुर्घटनाओं में मानवीय चूक की गुंजाइश को नई तकनीक के सहारे न्यूनतम करने का प्रयास किया जा रहा है। रैमलॉट एवं एलसीवीआर, लोकोपायलट की वजह से होने वाली चूकों को न्यूनतम करने में बेहद कारगर साबित होंगे। (वार्ता)