नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष को उच्च न्यायालय के उस आदेश के खिलाफ दायर याचिका वापस लेने की सोमवार को अनुमति दी, जिसमें उपमुख्यमंत्री पद से बर्खास्त किए जा चुके सचिन पायलट और कांग्रेस के 18 बागी विधायकों को अयोग्य ठहराए जाने की कार्रवाई 24 जुलाई तक स्थगित करने के लिए कहा गया था।
विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा की अगुवाई वाली पीठ को बताया कि राजस्थान हाईकोर्ट ने 24 जुलाई को नया आदेश दिया और वे कानूनी विकल्पों पर विचार कर रहे हैं।
सिब्बल ने याचिका वापस लेते हुए पीठ से कहा कि अध्यक्ष को बागी विधायकों को अयोग्य ठहराए जाने की कार्यवाही स्थगित करने के लिए कहने संबंधी उच्च न्यायालय के 21 जुलाई के आदेश पर शीर्ष अदालत ने रोक नहीं लगाई, जिसके कारण इस याचिका का अब कोई औचित्य नहीं है।
जोशी का प्रतिनिधित्व कर रहे एक अन्य वकील सुनील फर्नांडीस ने कहा कि नई विशेष अनुमति याचिका दायर करने की स्वतंत्रता और सभी विकल्पों को खुला रखते हुए याचिका वापस ली गई है।
राजस्थान हाईकोर्ट ने गत 24 जुलाई को सचिन पायलट समेत 19 बागी विधायकों को विधानसभा अध्यक्ष द्वारा भेजे गए अयोग्यता के नोटिसों पर यथास्थिति बरकरार रखने का शुक्रवार को आदेश दिया था।
नेताओं ने राज्यपाल को लिखा पत्र : संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार में कानून मंत्री रहे कांग्रेस के तीन वरिष्ठ नेताओं कपिल सिब्बल, सलमान खुर्शीद और अश्विनी कुमार ने सोमवार को राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र को पत्र लिखकर आग्रह किया कि वे अशोक गहलोत मंत्रिमंडल की अनुशंसा पर विधानसभा सत्र बुलाएं क्योंकि ऐसा नहीं करने से संवैधानिक संकट पैदा होगा।
तीनों ने इस सत्र में यह भी कहा कि राज्यपाल की तरफ से सत्र बुलाने में विलंब करने से राजस्थान में एक ऐसा संवैधानिक गतिरोध पैदा हो गया है जिसे पहले ही टाला जा सकता था।
उन्होंने 2016 के ‘नबाम रेबिया मामले’ और 1974 के ‘शमशेर सिंह बनाम भारत सरकार’ मामले में उच्चतम न्यायालय के निर्णय का हवाला देते हुए कहा कि राज्यपाल मंत्रि परिषद की सलाह पर विधानसभा सत्र बुलाने को बाध्य हैं। तीनों पूर्व कानून मंत्रियों ने कहा कि विधानसभा सत्र बुलाने की स्थापित संवैधानिक स्थिति से इतर जाने से संवैधानिक संकट पैदा होगा।
धरने पर बैठे विधायक : राजस्थान में भाजपा विधायक मदन दिलावर विधानसभा अध्यक्ष के फैसले की प्रति पाने की मांग को लेकर सोमवार को विधानसभा सचिवालय में कुछ देर के लिए धरने पर बैठे।
भाजपा विधायक एवं पूर्व मंत्री मदन दिलावर ने राज्य में बसपा के 6 विधायकों के कांग्रेस में शामिल होने पर आपत्ति जताते हुए इन विधायकों को अयोग्य ठहराने की याचिका विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी को दी थी। दिलावर के अनुसार अध्यक्ष ने उनकी याचिका का निस्तारण कर दिया, लेकिन उन्हें उसकी प्रति नहीं मिली।
दिलावर ने विधानसभा के बाहर कि होना तो यह चाहिए था कि विधानसभा अध्यक्ष मेरा पक्ष भी सुनते और उसके बाद कोई फैसला करते। इससे मुझे संतुष्टि होती। दिलावर ने बताया कि वह आदेश की प्रति पाने के लिए विधानसभा सचिव के कार्यालय में कुछ देर धरने पर भी बैठे।
उन्होंने कहा कि उन्हें अध्यक्ष के आदेश का सार उपलब्ध करा दिया गया है और आश्वस्त किया गया है कि विस्तृत आदेश की प्रति शाम तक उपलब्ध करा दी जाएगी। उल्लेखनीय है कि संदीप यादव, वाजिब अली, दीपचंद खेरिया, लखन मीणा, जोगेन्द्र अवाना और राजेन्द्र गुढ़ा ने 2018 विधानसभा चुनाव बसपा के टिकट पर जीता था। ये सभी विधायक सितम्बर 2019 में बसपा छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो गए थे।