नई दिल्ली। कांग्रेस ने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की टिप्पणी को आपत्तिजनक तथा गैरकानूनी करार देते हुए चुनाव आयोग से उनके चुनाव प्रचार करने पर तत्काल प्रतिबंध लगने की मांग की है।
कांग्रेस के एक प्रतिनिधिमंडल ने सोमवार को इस संबंध में चुनाव आयोग से मुलाकात की और कहा कि मोदी तथा भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह बार-बार ऐसी बातें कह रहे हैं, जो आदर्श चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन है। प्रतिनिधिमंडल ने अपनी शिकायत में कहा है कि मोदी के चुनाव प्रचार पर नोटिस देने के 48 घंटों के भीतर पाबंदी लगनी चाहिए।
आयोग से मुलाकात के बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने निर्वाचन सदन के बाहर पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि मोदी ने पूर्व प्रधानमंत्री के बारे में जो बातें कही हैं, वे बहुत भद्दी और बेहद आपत्तिजनक हैं और उनके द्वारा इस्तेमाल शब्दों को दोहराने में हिचक होती है।
उन्होंने कहा कि मोदी को इस संबंध में 24 घंटे का नोटिस देकर 48 घंटे में उनके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए। पार्टी ने कहा कि इस संबंघ में सभी जरूरी दस्तावेज आयोग के समक्ष रखे गए हैं।
प्रतिनिधिमंडल ने कहा कि पार्टी आयोग के समक्ष मोदी के खिलाफ अब तक 11 शिकायतें दर्ज करा चुकी है लेकिन आयोग दबाव में काम कर रहा है और उनकी शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है। इधर आयोग ने उनकी शिकायतों पर इसलिए अमल शुरू किया है, क्योंकि पार्टी इस मामले को उच्चतम न्यायालय ले गई है।
सिंघवी ने कहा कि जिन भद्दे शब्दों का इस्तेमाल मोदी ने पूर्व प्रधानमंत्री के बारे में किया है, उससे लगता है कि मोदी को भारतीय संस्कृति और सभ्यता की जानकारी नहीं है और सस्ती राजनीतिक लोकप्रियता के लिए वे कुछ भी बोल लेते हैं।
उन्होंने कहा कि सत्ताधारी दल की तरफ से ऐसे बयान आ रहे हैं, जैसे देश में न चुनाव आयोग है और न कोई आदर्श बचे हैं। हर दिन कानून का उल्लंघन हो रहा है। मोदी जो भी बोल रहे हैं उसके संबंध में तथ्यों की उन्हें कोई जानकारी नहीं है और न ही उन्हें कोई इस संबंध में कुछ अवगत कराता है। राजीव गांधी के बारे में उन्होंने जो कुछ बोला है, वह सब तथ्यों के एकदम विपरीत हैं।
प्रवक्ता ने कहा कि तथ्य यह है कि 4 फरवरी 2004 को दिल्ली उच्च न्यायालय ने राजीव गांधी के विरुद्ध आरोपों को निरस्त किया था और 14 साल तक इसकी अपील नहीं की गई।
मोदी पूर्व प्रधानमंत्री को भ्रष्टाचारी नंबर 1 कहते है जबकि उनकी सरकार ने फरवरी 2018 तक इस बारे में पहले कोई अपील नहीं की और बाद में जो अपील दायर की उसे उच्चतम न्यायालय ने निरस्त कर दिया। एक अन्य अपील में भी 2005 में आरोप निरस्त हुआ और 14 साल तक इस बारे में भी कोई अपील नहीं की गई।